माँ कविता | माँ के बारे में छोटी सी कविता | हिन्दी कविता

माँ इतनी खास क्यों है? माँ की महानता का इतना गुणगान क्यों किया जाता है? माँ महान क्यों है? यदि आपके मन में भी ऐसे सवाल हैं तो नीचे लिखी ‘माँ की कविता’ को पढ़ने के बाद आपको सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे। आज Mother’s Day के मौके पर हमारी कवयित्री सरिता जी ने अपनी दिवंगत माँ को याद करते हुए माँ पर कुछ पक्तियाँ लिखी हैं।

माँ पर हिन्दी कविता

माँ

एक माँ ही होती है,

जो हमें औरों से नौ महीने ज्यादा जानती है।

एक माँ ही होती है

जो हमारी खामोशी की जुबां भी पहचानती है।

एक माँ ही होती है

जो हमें बिन मांगे सब कुछ देती है।

एक माँ ही होती है

जो हमारे बड़े होने पर भी हमें बच्चा मानती है।।

माँ से ही यह दुनिया है ,माँ में ही यह दुनिया समाई है।

माँ है तो नींद है, भूख है, सुकून है सारी खुशी है।

माँ है तो नींद है, भूख है, सुकून है, सारी खुशी है।

माँ अपना वजूद मिटाकर हमारा वजूद बनाती है।

ना होकर भी अपने होने का एहसास दिलाती है।


स्वरचित
सरिता।

सरिता जी एक कवयित्री होने के साथ – साथ एक कुशल गृहणी और ट्यूशन टीचर भी हैं। ये अपने निजी जीवन में होने वाली घटनाओं और मन के भावों और विचारों को कविताओं के माध्यम से लिखती हैं।

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