अरे! मेरी अद्भुत माँ,
तुमने आसान की मेरी हर राह।
तुम मेरी सच्ची और अच्छी गुरु,
हर मोड़ पर बताया कैसे करूँ शुरू।
मुझे याद है, मैं कम ही बीमार पड़ा,
क्योंकि माँ का साया हर वक्त मेरे संग खड़ा।
मेरी माँ का वो सात्विक खाना,
आज भी मेरे लिए है सेहत का खज़ाना।
मेरे छोटे-छोटे सपनों का भी रखा ध्यान,
इसलिए तुम बन गयी पापा से भी ज्यादा महान
जब जब पापा बिज़ी थे,
तुम में मुझे दोनों के रूप दिखे थे ।
जब पड़ोस वाली आंटी का कांच मुझसे टूटा
और उनके हाथ से मेरा कॉलर न छूटा,
आंटी को ऐसी फटकार लगायी,
उस दिन तुम में दिखी रानी लक्ष्मीबाई ।
सबको चुप करा दिया, ताकि मैं पढ़ सकूँ,
कॉन्फिडेंस इतना दिया, कभी नहीं झुकूं
बड़ों की इज्ज़त, भाई-बहिन से प्यार करो,
लेकिन बिन बात किसी से नहीं डरो ।
आज मिली दुनिया में अलग ही शान और पहचान
क्योंकि, मेरे पास है तुम्हारा सच्चा ज्ञान ।
हर कम्पटीशन से पहले मेरे बाल सहलाना,
किसी परिस्थिति से नहीं घबराना,
चल-चल “मैं हूँ ना”
तेरे पीछे ही खड़ी हूँ ना ।
अरे! मेरी अद्भुत माँ,
तुमने आसान की मेरी हर राह।
✍🏻 सत्य घटनाओं से प्रेरित