🎤 भाषण शीर्षक: “हमारे सपनों की क़ीमत”
(IPL, जुआ ऐप्स और युवाओं के भविष्य पर आधारित)
नमस्कार साथियों,
आज मैं आपसे एक ऐसे विषय पर बात करने आई हूँ, जो सुनने में शायद चमकदार लगे, लेकिन इसके पीछे छुपा सच बहुत ही डरावना है।
IPL का सीज़न जब शुरू होता है, तो सिर्फ चौकों और छक्कों की बारिश नहीं होती…
साथ ही शुरू होती है — जुए और सट्टेबाज़ी ऐप्स की बाढ़!
हर स्क्रीन पर एक ही पैगाम —
“₹10 लगाओ, करोड़ों पाओ!”
और सबसे हैरानी की बात ये है,
कि ये झूठे सपने हमें कौन बेचता है?
वो सितारे, जिन पर पूरा देश भरोसा करता है —
जो कभी “सच्चाई और मेहनत” की मिसाल थे,
आज वो जुए के ऐप्स का प्रचार कर रहे हैं।
दोस्तों, क्या यही है हमारे सपनों की कीमत?
हम अपने बच्चों को सिखाते हैं —
ईमानदारी से मेहनत करो, पढ़ो, कुछ बनो।
लेकिन IPL के बीच ये ऐप्स उन्हें सिखाते हैं —
किस्मत के सहारे खेलो, अमीर बनो।
पर क्या वाकई कोई अमीर बनता है?
नहीं!
बनता है तो एक आदत का गुलाम –
जो हर हार के बाद और पैसा लगाता है,
जो अपने समय, अपने सपनों और अपने आत्म-विश्वास को खोता चला जाता है।
सवाल ये नहीं कि ऐप्स क्यों हैं…
सवाल ये है कि हम चुप क्यों हैं?
क्यों हमारे देश के कानून चुप हैं?
क्यों हमारे सितारे इनका प्रचार कर रहे हैं?
और क्यों हम ये सोचकर बैठ गए हैं कि “हमें क्या फर्क पड़ता है?”
साथियों, फर्क पड़ता है…
क्योंकि अगला शिकार शायद आपका बच्चा हो,
आपका स्टूडेंट हो,
या हो सकता है… आप खुद!
इसलिए आज ये सवाल हम सबको खुद से पूछना होगा —
क्या हम अपने सपनों की कीमत इतनी सस्ती लगाकर बेच देंगे?
या फिर
हम मिलकर आवाज़ उठाएंगे –
कि हमारे सपनों को जुए का बाज़ार नहीं बनने देंगे!
धन्यवाद।