युवा पीढ़ी में बढ़ता असंतोष | आधुनिक युवा की जीवनशैली निबंध

आधुनिक युग में सभी लोगों में धैर्य और सहनशीलता की कमी हो गई है। खासतौर से युवा वर्ग का सब्र जैसे लुप्त होता जा रहा है। ऐसा क्यों है? आज के इस हिन्दी निबंध में आप जानेंगे आधुनिक युवा में असंतोष के क्या कारण हैं। क्या जीवनशैली में बदलाव को इसका दोषी माना जा सकता है? यदि, ‘हाँ’, तो इसका निवारण कैसे किया जा सकता है?

युवा पीढ़ी में बढ़ता असंतोष हिन्दी निबंध (1000+ शब्द)

मुख्य शीर्षक-
युवा पीढ़ी में बढ़ता असंतोष
युवा पीढ़ी में बदलाव
आज के युवा की जीवन शैली

इसमें कोई शक नहीं है कि आज की युवा पीढ़ी देश का कल तय करती है। किसी देश का भविष्य उस देश के युवा वर्ग  के हाथ में होता है। जिस देश के युवा पढ़े-लिखे और स्वस्थ होंगे उस देश व समाज का विकास बहुत तेजी से होता है। देश की आर्थिक व राजनैतिक व्यवस्था मजबूत होगी। विश्व में उस देश की एक अलग पहचान बनेगी। इसलिए एक देश व समाज की यह जिम्मेदारी बनती है कि उसका युवा वर्ग शिक्षित हो ,स्वस्थ हो व उसे उसकी योग्यता के अनुसार अवसर मिले। जिससे नौजवानों में किसी प्रकार का असंतोष ना हो। परंतु देखने को यह मिल रहा है कि आजकल के युवा वर्ग में बहुत असंतोष है जिसके पीछे निम्नलिखित कारण हैं –

  • देश की अर्थव्यवस्था
  • समाजिक व नैतिक मूल्यों का पतन
  • दोषपूर्ण शिक्षा पद्धति
  • बढ़ती जनसंख्या
  • पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव
  • संयुक्त परिवारों का टूटना
  • रहन सहन का स्तर बढ़ना

युवा वर्ग में असंतोष के कारण

1 देश की अर्थव्यवस्था – जिस देश की सरकार स्थाई होगी, उस देश में रोजगार व नौकरी के अवसर अधिक होंगे। अर्थव्यवस्था व राजनैतिक उतार-चढ़ाव अधिक होने से आर्थिक विकास में बाधा आती है। देश पर आक्रमण या गृह युद्ध की स्थिति में देश की अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी। विदेशी निवेशक ऐसे देश के शेयर बाज़ार में निवेश नहीं करेंगे। परिणामस्वरूप युवा पीढ़ी को रोज़गार अवसर नहीं मिल पाते और उनमें आक्रोश बढ़ता है।

2. सामाजिक व नैतिक मूल्यों का पतन-आज समाज बहुत स्वार्थी हो गया है। वह सिर्फ और सिर्फ अपने बारे में ही सोचता है। अगर कोई लड़ाई झगड़ा हो रहा है या कोई किसी के साथ दुर्व्यवहार कर रहा है तो लोग मदद करने के लिए आगे नहीं आते और सोचते हैं कि हम क्यों किसी परेशानी में पड़े।अगर समाज गिरते हुए को नहीं उठाएगा तो समाज मे अराजकता फैल जाएगी। गलत के खिलाफ आवाज नहीं उठाई जाएगी तो गलत लोगों को प्रोत्साहन मिलेगा और इन सब का असर कहीं ना कहीं अच्छे लोगों की मानसिकता पर पड़ता है ।उनमें कुंठा होने लगती है जिससे असंतोष बढ़ता है।

3. दोषपूर्ण शिक्षा पद्धति-भारत की शिक्षा पद्धति को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है क्योंकि यह व्यवाहरिक नहीं है। बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान प्राप्त होता है उन्हें अपने ज्ञान को व्यवहार में कैसे लाना है इसकी जानकारी नहीं होती। हालाकि भारत के शिक्षा मंत्री ने अब कई वर्षों बाद इसमें सुधार किया है । नई शिक्षा प्रणाली लाई गई है परंतु उसको अभी अमली जामा पहनाने में वक्त लग जाएगा।

4. बढ़ती जनसंख्या – किसी देश में अगर जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है परंतु रोजगार व नौकरी के अवसर उस अनुपात से नहीं मिल रहे हैं तो शिक्षित लोगों में असंतोष बढ़ना तय है। जैसे कि अवसर सिर्फ सौ है और आवेदन करने वाले व्यक्ति 1000 हैं तो ऐसे में प्रथम 100 व्यक्तियों को ही अवसर मिल पाएगा बाकी के लोग रह जाएंगे चाहे वह कितने भी काबिल क्यों ना हो। इनमें से कुछ लोग विद्रोह कर सकते हैं।

5. पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव – भारत में पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव हमारे बच्चों और युवाओं के खान-पान, पहनावे, संगीत, नृत्य और सोच पर पूरी तरह से हावी हो चुका है। आज भारतीय बच्चे बर्गर, पिज़्ज़ा और ना जाने कितने तरह के जंक फूड खाने को अपनी शान समझते हैं। यह सब बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते हैं। फल स्वरुप बच्चों में कई गंभीर बीमारियां होने लगती है जैसे कि मोटापा, चिड़चिड़ापन, आलस आदि। कटे – फटे और तन को उजागर करने वाले बेढंगे कपड़ों को फैशन के नाम पर खरीदने की ज़िद करते हैं। और भी ना जाने किन किन वस्तुओं की मांग करते हैं और पूरा ना होने पर गलत कदम उठाते हैं।

6. संयुक्त परिवारों का टूटना – सयुक्त परिवारों का टूटना भी युवा वर्ग में असंतोष का मुख्य कारण है क्योंकि जब परिवार में कोई सदस्य कमजोर होता है या उसकी आर्थिक स्थिति सही नहीं होती है तो परिवार के अन्य सदस्य उसकी मदद करते हैं ।बड़े – बूढ़े उस सदस्य को समझाते हैं तथा में मुसीबत में उसके साथ खड़े रहते हैं। ऐसे में वह व्यक्ति मुसीबत के समय में भी खुश व स्वस्थ रहता है क्योंकि उसका परिवार उसके साथ होता है । उसके मन में असंतोष की भावना नहीं आती। परंतु आज – कल एकल परिवार होने की वजह से सारी जिम्मेदारी एक ही व्यक्ति पर आ जाती है जिससे उसे मानसिक तनाव या डिप्रेशन हो जाता है।

7. उच्च रहन-सहन का स्तर – आजकल नौजवान उच्च रहन-सहन की चाह रखते हैं। उन्हें पार्टी भी करनी है ,अच्छे-अच्छे ब्रांडेड कपड़े भी पहनने को चाहिए, घूमने को गाड़ी भी चाहिए। मध्यम व निम्न वर्ग के युवा भी उच्च स्तर का रहन-सहन चाहते हैं। परिणाम स्वरुप वह अपनी चादर से ज्यादा अपने पांव पसारते हैं। उन्हें चाहे कर्जा लेना पढ़ जाए पर दिखावे में कोई कमी नहीं आनी चाहिए। इच्छा पूरी ना होने पर उनमें आक्रोश बढ़ना स्वाभाविक है। गुस्सा आने लगता है जो कहीं न कहीं उनके स्वास्थ्य और भविष्य पर भी असर डालता है।

8 अन्य कारण – व्यक्तिगत स्वार्थ दिखावे की दुनिया में रहना मोबाइल का प्रभाव आगे बढ़ने की होड़ और भी ना जाने ऐसे कई अप्रत्याशित तत्व है जो युवा वर्ग में असंतोष फैला रहे हैं।

आधुनिक युवा में असंतोष के लिए कौन जिम्मेदार

सोचने वाली बात यह है है कि इन सबके लिए हम, स्वयं जिम्मेदार हैं। हम अपने बच्चों बच्चों को प्यार, प्रेम, संयम, सहनशीलता व संतोष जैसे गुण नहीं दे पाते। यह समझा नहीं पाते कि जीवन में सब कुछ एकदम से नहीं मिलता। मेहनत करनी पड़ती है, और धैर्य रखना पड़ता है। खुशी सिर्फ पैसों से ही नहीं मिलती, अगर मन में संतोष है तो व्यक्ति हमेशा खुश रह सकता है। आज के युवा वर्ग को समाजिक व नैतिक मूल्य के महत्व को समझाना चाहिए। साथ ही देश की सरकार को भी कठोर कदम उठाने चाहिए जैसे कि जनसंख्या नियंत्रण कानून लाना चाहिए, रिश्वतखोरो और भ्रष्टाचार पर कड़ी लगाम कसनी चाहिए।

युवाओं में बढ़ते असंतोष के दुष्परिणाम

अत्यधिक तनाव में रहने के कारण कई बार युवा वर्ग जिसे देश का भविष्य कहा जाता है विस्फोटक स्थिति ले लेता है। परिणाम स्वरुप वह भूख हड़ताल करता है, रैलियां निकालता है। अपनी बात सरकार से मनवाने के लिए आगजनी और तोड़फोड़ पर भी उतर आता है। जिससे देश व समाज दोनों को ही क्षति पहुंचती है। समाज में अराजकता फैलती है। कुछ राजनैतिक दल भी इसमें शामिल होकर इसे बढ़ावा देते हैं। इस तरह युवा वर्ग पूरी तरह से देश के लिए हानिकारक हो जाता है जो देश का भविष्य उज्जवल करने चला था वही उसको नष्ट कर देता है। इसलिए हम सब को चाहिए कि युवा वर्ग अपनी शक्ति का सही उपयोग करे और इसके लिए हमें उसे सही दिशा दिखानी चाहिए।

युवा वर्ग में बढ़ते असंतोष को कम करने के लिए सुझाव –

1 बच्चों को संयुक्त परिवार के महत्व को समझाते हुए उसे टूटने से बचाना चाहिए।
2 आज के नौजवानों को भारतीय सभ्यता व संस्कृति से अवगत कराना चाहिए।
3 सरकार को आरक्षण व मैनेजमेंट कोटा बिल्कुल खत्म करना चाहिए।
4 समाज के सभी वर्गों को एक साथ असमाजिक तत्वो पर आवाज उठानी चाहिए।
5 जनसंख्या नियंत्रण कानून लाना चाहिए।
6 सरकार के विभिन्न विभागों और नेताओं के अनावश्यक खर्चों पर लगाम लगाकर उन पैसों से रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने चाहिए।
7 सभी राजनेताओं को अपने व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर उठकर देश हित के लिए सोचना चाहिए और भाई भतीजावाद खत्म करना चाहिए।
8 शिक्षा पद्धति में बदलाव करके उसे और ज्यादा मजेदार और व्यवहारिक बनाना चाहिए।
9 युवा वर्ग को चाहिए वह अपनी आय के अनुरूप खर्च करें। दिखावे की दुनिया में ना जिए। आगे बढ़ने की होड़ में अपनी सुख शांति ना खोऐ।
10 अपनी भारतीय सभ्यता और संस्कृति को अपनाएं उसका सम्मान करें। इसके मूल्यों को समझे। स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करें ताकि अपने देश में ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर उपलब्ध हो। कम आय होने पर भी संतोष रखें।

देश के युवा वर्ग को चाहिए कि वह अपने ज्ञान व जोश का सही इस्तेमाल करें। देश का हित सोचे और एक अच्छा नागरिक बने क्योंकि अच्छे नागरिक से ही अच्छे समाज और अच्छे देश का निर्माण होता है। यही हम सब के हित में है।
सबका साथ सबका विकास।

लेखक के बारे में: सरिता जी एक कवयित्री होने के साथ – साथ एक कुशल गृहणी और ट्यूशन टीचर भी हैं। ये अपने निजी जीवन में होने वाली घटनाओं और मन के भावों और विचारों को कविताओं और निबंध के माध्यम से लिखती हैं।

मानव के लालच और स्वार्थ का प्रकृति पर प्रभाव
ऑनलाइन शिक्षा पर मेरे विचार
नयी शिक्षा नीति (कमियाँ)
 लॉकडाउन के फायदे और नुकसान
आत्मनिर्भरता पर निबंध- आत्मनिर्भर कैसे बनें

Leave a Comment