सुधा चंद्रन की प्रेरणादायक हिंदी कहानी | सुधा चंद्रन की कहानी | Short Hindi Story | Apathit Gadyansh
- Q 1 सुधा चंद्रन ने 3 साल की उम्र में किस शैली का नृत्य सीखना शुरू किया था?
- Q 2 चंद्रन के घुटने के नीचे से पैर हटाने के बाद क्या हुआ?
- Q 3 इस जानकारी के आधार पर आप चंद्रन के बारे में क्या सोचते हैं?
- 4. इस लेख का मुख्य विचार क्या है?
- 5. उपरोक्त गद्यांश में ऐसा क्यों कहा गया है कि चुनौतियां व्यक्तियों को बदलने के लिए मजबूर कर देती हैं?
- Q 6. सुधा चंद्रन कौन सा नृत्य सीख रही थी, इस नृत्य के बारे में कोई 1 विशेष बात बताएं.
- Q 7. सुधा चंद्रन के पैर में पट्टी बांधते वक्त लोगों ने क्या गलती की? उन्हें क्या करना चाहिए था ?
- Q 8.लेखक ने यह क्यों कहा कि सुधा चंद्रन को शून्य से शुरुआत करनी पड़ी?
- Q 9. गद्यांश में विकलांगों के बारे में किस रूढ़िवादिता के बारे में बात की गई है?
- Q 10. इस कहानी से आपको क्या सीख मिलती है?
सुधा चंद्रन की कहानी
यह एक सच्ची हिंदी कहानी है जिसके माध्यम से आपको एक सीख भी मिलती है।
“चुनौतियां व्यक्तियों को बदलने के लिए मजबूर कर देती हैं” और मजबूत भी बना देती हैं। चुनौतियों से गुजरने के बाद लोग बता सकते हैं कि अपने जुनून को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने कितना दृढ़ संकल्प किया । सुधा चंद्रन के साथ भी ऐसा ही हुआ था।सुधा चंद्रन को छोटी सी उम्र से ही डांस के प्रति बहुत अधिक लगाव था और बड़ी-बड़ी चुनौतियां आने के बावजूद भी उन्होंने इसे जारी रखा।
चंद्रन का जन्म 21 सितंबर 1964 को कन्नूर भारत में हुआ था। तीन साल की छोटी सी उम्र से ही उन्होंने भरतनाट्यम सीखना शुरू कर दिया। उसे डांस सीखने की इतनी अधिक लग्न थी कि वह स्कूल के बाद ही डांस प्रैक्टिस के लिए चली जाती थी और कभी कभी रात को 9:30 बजे तक घर पहुँचती थी।
15 साल की उम्र तक वह तकरीबन ७0 से अधिक कंपटीशन में प्रदर्शन कर चुकी थी । जब चंद्रन 16 साल की थी तो
दुर्भाग्यवश उनका एक्सीडेंट हो गया और वह गंभीर रूप से घायल हो गई। उसके पैर के टखने में कट लग गया था वहां मौजूद लोगों ने उस घाव को कपड़े से लपेट दिया, लेकिन उसे साफ नहीं किया। जिसकी वजह से उसके पैर में इंफेक्शन फैल गया ।
हॉस्पिटल पहुंचने के बाद पता लगा कि यह इंफेक्शन पूरे शरीर में फैल सकता है इसलिए डॉक्टरों को उसका पैर घुटने के नीचे से काटना पड़ा । सुधा चंद्रन पूरी तरह से टूट चुकी थी।
ठीक होने के बाद उसे शून्य से शुरुआत करनी पड़ी। 3 साल की कड़ी मेहनत के बाद वह अच्छे से चलने फिरने लग गई थी। लोगों का ऐसा मानना था कि पैर कटने के बाद वह फिर से डांस नहीं कर पाएगी, लेकिन सुधा उन लोगों के सामने हार नहीं मानना चाहती थी। सालों की चिकित्सा और कड़ी मेहनत के बाद चंद्रन ने अपने पिताजी से कहा कि वह फिर से प्रदर्शन के लिए तैयार है।
उसके पहले प्रदर्शन की तैयारी हो गई और सारी टिकटें बिक गई। जब उसका प्रदर्शन समाप्त हुआ तो पूरी भीड़ ने खड़े होकर जोर से तालियाँ बजायीं । अब उसे यकीन हो गया था कि उसे एक सफल डांसर बनने से कोई नहीं रोक सकता।
उसने अपनी एकडांस एकेडमी खोली है जहां विद्यार्थी कई घंटे अभ्यास करते हैं। सुधा राष्ट्रीय विकलांग संघ की प्रमुख है जहां पर विकलांगों के बारे में लोगों की रूढ़िवादिता (घिसी पिटी सोच) को बदलने पर काम किया जाता है। यह संगठन विकलांग लोगों को खुद पर विश्वास करने और अपने सपनों के रास्ते में बाधाओं को नहीं आने देने के लिए प्रोत्साहित करता है।
लहरों से डरकर कभी नैया पार नहीं होती ,
मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती।।
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि अपने जीवन में आने वाली बाधाओं के आगे झुके नहीं, उनका डटकर सामना करें।
आप सुधा चंद्रन की हिंदी कहानी को एक अपठित गद्यांश के रूप में भी देख सकते हैं और नीचे दिए गए प्रश्नों का उत्तर दे कर अपनी हिंदी पढ़ने और लिखने की स्किल को बढ़ा सकते हैं.
MCQ |
Q 1 सुधा चंद्रन ने 3 साल की उम्र में किस शैली का नृत्य सीखना शुरू किया था?
i. कुचिपुड़ी
ii. काबुकी
iii. मणिपुरी
iv. भरतनाट्यम
उत्तर – iv. भरतनाट्यम
Q 2 चंद्रन के घुटने के नीचे से पैर हटाने के बाद क्या हुआ?
i. उसकी मृत्यु हो गयी ।
ii. उसे फिर से चलने और नृत्य सीखने में वर्षों लग गए।
iii. उसने हमेशा के लिए नाचना छोड़ दिया।
iv. उसने आसानी से एक हफ्ते में फिर से नृत्य करना शुरू कर दिया।
उत्तर – ii. उसे फिर से चलने और नृत्य सीखने में वर्षों लग गए।
Q 3 इस जानकारी के आधार पर आप चंद्रन के बारे में क्या सोचते हैं?
“लोगों का ऐसा मानना था कि पैर कटने के बाद वह फिर से डांस नहीं कर पाएगी, लेकिन सुधा उन लोगों के सामने हार नहीं मानना चाहती थी । सालों की चिकित्सा और कड़ी मेहनत के बाद चंद्रन ने अपने पिताजी से कहा कि वह फिर से प्रदर्शन के लिए तैयार है।”
i. वह शर्मिंदा थी क्योंकि दूसरे लोग सोचते थे कि वह नृत्य नहीं कर सकती।
ii. उसने दूसरे लोगों को नृत्य करना सिखाया लेकिन खुद कभी प्रदर्शन नहीं किया।
iii. उसका सेंस ऑफ ह्यूमर अच्छा था और जब लोग कहते थे कि वह डांस नहीं कर सकती तो वह अक्सर हंसती थी।
iv. वह किसी ऐसी चीज के लिए कड़ी मेहनत करने से नहीं डरती थी जिसके बारे में दूसरे लोग सोचते थे कि वह विफल हो जाएगी।
उत्तर – iv. वह किसी ऐसी चीज के लिए कड़ी मेहनत करने से नहीं डरती थी जिसके बारे में दूसरे लोग सोचते थे कि वह विफल हो जाएगी।
4. इस लेख का मुख्य विचार क्या है?
i. सुधा चंद्रन ने एक नर्तकी बनने के अपने सपनों का पालन करने के लिए कड़ी मेहनत की और अपनी एक पहचान बनायी।
ii. भरतनाट्यम नृत्य की एक शास्त्रीय भारतीय शैली है ।
iii. कोई घाव होने पर उसके प्रति लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए ।
iv. भारत का विकलांग उद्यमों का राष्ट्रीय संघ एक ऐसा संगठन है जो विकलांग लोगों के लिए झूठी रूढ़ियों के बारे में लोगों को शिक्षित करने में मदद करता है।
उत्तर – i. सुधा चंद्रन ने एक नर्तकी बनने के अपने सपनों क पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की और अपनी एक पहचान बनायी।
SUBJECTIVE QUESTIONS |
5. उपरोक्त गद्यांश में ऐसा क्यों कहा गया है कि चुनौतियां व्यक्तियों को बदलने के लिए मजबूर कर देती हैं?
उत्तर – चुनौतियों का सामना करने के लिए व्यक्ति को अपनी आरामदायक स्थिति (comfort zone) से बाहर आना पड़ता है. जिसके लिए उसे नई तकनीक सीखनी पड़ती है, आलस को छोड़ना पड़ता है और पहले से अधिक मेहनत करनी पड़ती है. जिससे व्यक्ति में कुछ बदलाव आ ही जा त है.
Q 6. सुधा चंद्रन कौन सा नृत्य सीख रही थी, इस नृत्य के बारे में कोई 1 विशेष बात बताएं.
उत्तर – सुधा चंद्रन भारत का एक खास शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम करती थी. इस नृत्य में हाथों और चेहरे के द्वारा मन के भावों को प्रकट किया जाता है.
Q 7. सुधा चंद्रन के पैर में पट्टी बांधते वक्त लोगों ने क्या गलती की? उन्हें क्या करना चाहिए था ?
उत्तर – सुधा चंद्रन को पट्टी बांधते वक्त लोगों ने घाव को साफ नहीं किया, जिससे उसके पैर में इंफेक्शन फैल गया. किसी भी अंग पर चोट लगने के बाद उसे डेटॉल से या बीटाडीन से साफ करना जरूरी है.
Q 8.लेखक ने यह क्यों कहा कि सुधा चंद्रन को शून्य से शुरुआत करनी पड़ी?
उत्तर – ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि पैर कटने के बाद रबड़ का पैर लगने पर उस पैर के साथ आत्मसात होने में समय लगता है. ऐसा लगता है कि बिलकुल नई शुरुआत करनी पड़ रही है.
Q 9. गद्यांश में विकलांगों के बारे में किस रूढ़िवादिता के बारे में बात की गई है?
उत्तर – गद्यांश में विकलांगों के बारे में उस रूढ़िवादिता की तरफ इशारा किया जा रहा है जिसमें यह माना जाता है कि
विकलांग लोग आम आदमी की तरह सभी काम नहीं कर सकता.
Q 10. इस कहानी से आपको क्या सीख मिलती है?
उत्तर – इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि अपने जीवन में आने वाली बाधाओं के आगे झुके नहीं, उनका डटकर सामना करें।
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