सच हम नहीं, सच तुम नहीं
CBSE Class 10 Hindi Sample Paper Solutions Apathit Kavyansh | Sach Hum Nahi Sach Tum Nahi | अपठित काव्यांश सच हम नहीं, सच तुम नहीं
सच हम नहीं, सच तुम नहीं।
सच है सतत संघर्ष ही।
संघर्ष से हटकर जिए तो क्या जिए हम या कि तुम।
जो नत हुआ वह मृत हुआ ज्यों वृन्त से झरकर कुसुम।
जो पन्थ भूल रुका नहीं,
जो हार देख झुका नहीं,
जिसने मरण को भी लिया हो जीत है जीवन वही।
सच हम नहीं, सच तुम नहीं ।
ऐसा करो जिससे न प्राणों में कहीं जड़ता रहे।
जो है जहाँ चुपचाप अपने आप से लड़ता रहे।
जो भी परिस्थितियाँ मिलें,
काँटे चुभें कलियाँ खिलें,
टूटे नहीं इनसान, बस सन्देश यौवन का यही।
सच हम नहीं, सच तुम नहीं।
अपने हृदय का सत्य अपने आप हमको खोजना।
अपने नयन का नीर अपने आप हमको पोंछना।
आकाश सुख देगा नहीं
धरती पसीजी है कहीं !
हए एक राही को भटककर ही दिशा मिलती रही।
सच हम नहीं, सच तुम नहीं।
जगदीश गुप्त
Q 1 इस कविता के केंद्रीय भाव हेतु दिए गए कथनों को पढ़कर सबसे सही विकल्प चुनिए-
i प्रतिकूलता के विरुद्ध जूझते हुए बढ़ा ही जीवन की सच्चाई है।
ii परिस्थितियों से समझौता करके जोखिमों से बचना ही उचित है।
iii लक्ष्य-संधान हेतु मार्ग में भटक जाने का भय त्याग देना चाहिए।
iv जीवन में ‘अपने छाले, खुद सहलाने’ का दर्शन अपनाना चाहिए।
(क) कथन (ii) सही है।
(ख) कथन (i) व (iii) सही हैं।
(ग) कथन (i), (iii) व (iv) सही हैं।
(घ) कथन (i), (ii), (iii) व (iv) सही हैं।
Ans: उत्तर प्रश्न 5 के नीचे दिए गए हैं
Q 2 मरण अर्थात मृत्यु को जीतने का आशय है-
i साधुता व साधना से अमरत्व प्राप्त करना
ii योगाभ्यास व जिजीविषा से दीर्घायु हो जाना
iii अर्थ, बल व दढ़ इच्छाशक्ति से जीवन को कष्टमुक्त करना
iv जीवन व जीवन के बाद भी आदर्श रूप में स्मरण किया जाना
Ans: उत्तर प्रश्न 5 के नीचे दिए गए हैं
Q 3 ‘आकाश सुख देगा नहीं, धरती पसीजी है कहीं..’ का अर्थ है कि-
i आकाश और धरती दोनों में संवेदनशीलता नहीं है।
ii ईश्वर उदार है, अतः वही सुख देता है, वही पसीजता है।
iii जुझारू बनकर स्वयं ही जीवन के दुख दूर किए जा सकते हैं।
iv सामूहिक प्रयत्नों से ही संकट की स्थिति से निकला जा सकता है।
Ans: उत्तर प्रश्न 5 के नीचे दिए गए हैं
Q 4 अपने आप से लड़ने का अर्थ है-
i अपनी अच्छाइयों व बुराइयों से भलीभाँति परिचित होना
ii किसी मुद्दे पर दिल और दिमाग़ा का अलग-अलग सोचना
iii अपने किसी ग़लत निर्णय के लिए स्वयं को संतुष्ट कर लेना
iv अपनी दुर्बलताओं की अनदेखी न करके उन्हें हढ़ता से दूर करना
Ans: उत्तर प्रश्न 5 के नीचे दिए गए हैं
Q 5 युवावस्था हमें सिखाती है कि- कथन पढ़कर सही विकल्प का चयन कीजिए-
i स्वयं को चैतन्य, गतिशील, आत्मआलोचक व आशावादी बनाए रखें।
ii सजग रहें; जीवन में कभी कठिन परिस्थितियाँ उत्पन्न ही न होने दें।
iii सुख-दुख, उतार-चढ़ाव को भाग्यवादी बनकर स्वीकार करना सीखें।
iv प्रतिकूल परिस्थितियों के आगे घुटने न टेकें; बल्कि दो-दो हाथ करें।
(क) कथन (i) व (ii) सही हैं।
(ख) कथन (i) व (iv) सही हैं।
(ग) कथन (ii) व (iii) सही हैं।
(घ) कथन (iii) व (iv) सही हैं।
Ans:
1 | (ग) कथन (i), (iii) व (iv) सही हैं। |
2 | iv जीवन व जीवन के बाद भी आदर्श रूप में स्मरण किया जाना |
3 | iii जुझारू बनकर स्वयं ही जीवन के दुख दूर किए जा सकते हैं |
4 | iv अपनी दुर्बलताओं की अनदेखी न करके उन्हें दृढ़ता से दूर करना |
5 | ख) कथन (i) व (iv) सही हैं। |
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