कोविड 19 के कारण ऑनलाइन शिक्षा भारत में भी प्रचलित हो गयी, पर ऑनलाइन शिक्षा कितनी सार्थक है – यह बहस का मुद्दा है। क्योंकि कुछ लोगों के अनुसार ऑनलाइन पढ़ाई सुलभ और सुविधाजनक है जबकि कुछ विद्यार्थियों के लिए उनके पारंपरिक स्कूलों में पढ़ना बेहतर था। ऑनलाइन स्कूल के बारे में मेरे विचार आपके सामने प्रस्तुत हैं। आप ऑनलाइन शिक्षा पर अपने तर्क कमेंट में लिखकर essayshout के पाठकों तक पहुंचा सकते हैं –
ऑनलाइन शिक्षा निबंध |ऑनलाइन शिक्षा के फायदे नुकसान
प्रस्तावना: ऑनलाइन शिक्षा की आवश्यकता
भारत में ऑनलाइन एजुकेशन का अतीत ज्यादा पुराना नहीं है क्योंकि ऑनलाइन पढ़ाई के लिए महंगे कंप्यूटर, स्मार्टफोन और इंटरनेट की आवश्यकता होती है। भारत में व्याप्त गरीबी के कारण ज्यादा लोगों के पास यह सब बुनियादी सुविधाएं नहीं होने के कारण ऑनलाइन एजुकेशन भी ज्यादा प्रचलन में नहीं थी।
2014 में मोदी सरकार का डिजिटल इंडिया प्रोग्राम और 2016 में जियो (JIO) द्वारा लाए गए सस्ते इंटरनेट के कारण धीरे-धीरे इंटरनेट और मोबाइल फोन भारत के आम आदमी की जेब तक पहुंचने लगा था। ढांचा तैयार होने लगा था और लग रहा था कि 2022 तक पढ़ाई का भी डिजिटाइजेशन हो जाएगा । लेकिन, दिसंबर 2019 में फैले कोरोनावायरस ने 2020 में पूरे विश्व में तालाबंदी करवा दी। जिसकी वजह से स्कूली बच्चों ने सबकी उम्मीद से पहले ही भारत में ऑनलाइन शिक्षा से साक्षात्कार कर लिया।
अंग्रेजी में कहावत है अपॉर्चुनिटी कम्स इन डिसगाइज (OPPORTUNITY COMES IN DISGUISE) अर्थात, मौका भेष बदलकर आता है। मार्च-अप्रैल 2020 तक भारत के सभी प्राइवेट और कुछ सरकारी स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी।
घर में बैठकर ही विद्यालय की अध्यापिका और अपने सहपाठियों के साथ कविता पाठ और निबंध लेखन करने का कितना सुखद अनुभव हो रहा था। जल्दी नहा-धोकर तैयार होने या स्कूल बस पकड़ने का तो झंझट ही खत्म हो गया। ऐसा लगा मानो विद्यालय घर आ पहुंचा । शुरू के 15-20 दिन बहुत ही मजा आ रहा था । पर, महीने भर में पता लग गया कि दूर के ढोल सुहावने लगते हैं। असलियत में ऑनलाइन एजुकेशन में बहुत सी कमियां हैं जिनकी वजह से इन्हें भारत में 100% सफल नहीं माना जा सकता।
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आइए जानते हैं ऑनलाइन शिक्षा कितनी सार्थक है
- सबसे पहली और अहम बात यह है कि पढ़ाई का यह तरीका गरीब और अमीर के बीच की खाई को और अधिक बढ़ाता है क्योंकि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोग और मुश्किल से दिन भर की रोटी जुटा पाने वाले लोगों के पास तेज गति से चलने वाले वाईफाई (WiFi) या इंटरनेट की सुविधा नहीं है, तो ऐसे बच्चे दूसरे बच्चों से पिछड़ जाते हैं।
- इसके अलावा एक गरीब परिवार बड़ी मुश्किल से एक स्मार्ट फोन जुटा पाता है। ऐसे में यदि एक परिवार में 2 बच्चे पढ़ने वाले हैं तो बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है क्योंकि दोनों बच्चों को अलग-अलग फोन की जरूरत है। कम्प्यूटर लेने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता।
- दूर दराज़ गावों और दुर्गम स्थानों पर इन्टरनेट की अनुपलब्धता भी एक गंभीर समस्या है।
जिनके पास सब सुविधाएं उपलब्ध भी हैं उन्हें भी ऑनलाइन क्लास को सफलतापूर्वक भाग लेने के लिए निम्नलिखित परेशानियों का सामना करना पड़ता है-
ऑनलाइन शिक्षा की कमियाँ
बिजली के बार-बार आने-जाने से क्लास बीच में ही टूट जाने की परेशानी, घर में शांति का माहौल बनाने की दिक्कत; कहीं रसोईघर में खाना पकते हुए कुकर (Pressure Cooker) की सीटी का शोर तो कहीं संयुक्त परिवार में बच्चों के रोने की आवाजें।
इसके अलावा एक दिक्कत अध्यापकों की तरफ से भी होती है। अध्यापकों के पास वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एप के बेसिक प्लान (Basic Plan) है जिनमें केवल 40 मिनट का ही फ्री मीटिंग टाइम मिलता है । 40 मिनट पूरे होते ही मीटिंग अपने आप खत्म हो जाती है और अध्यापक को दोबारा से एक नई मीटिंग आईडी और पासवर्ड बनाकर बच्चों को दोबारा लॉगइन करवाना पड़ता है।
फ्री प्लान में अध्यापक केवल शुरू के 18-20 बच्चों को ही देख सकते हैं, मतलब जिन पहले बच्चों ने ज्वाइन किया है उन पहले 20 बच्चों की ही शक्ल स्क्रीन पर दिखाई देगी जिससे बाकी बच्चे पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते। जिससे अध्यापिका भी शुरू के बीस पर ही अपना ध्यान केन्द्रित कर पाती है। इस तरीके से 20 के बाद वाले बच्चे अध्यापक की नजर में आने से बचे रहते हैं और मन लगाकर पढ़ाई नहीं करते और इधर-उधर बातों में या गाने सुनने में या ऑनलाइन गेम खेलने में लगे रहते हैं।
निष्कर्ष- ऑनलाइन शिक्षा निबंध
इस प्रकार ऑनलाइन शिक्षा पर मेरा विचार है कि भारत में साधनों की कमी की वजह से आम व्यक्ति के लिए ऑनलाइन कक्षाएं सार्थक नहीं हैं। मध्यम वर्गीय और उच्च वर्गीय लोग तो इसे जुटा सकते हैं किंतु कम आय वाले निम्न वर्ग के लोगों के यह अभी बस की बात नहीं है।
ऑनलाइन शिक्षा को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए भारतीय सरकार को सभी पब्लिक स्थानों पर मुफ्त व्हाई फाई उपलब्ध कराना होगा। अध्यापकों को कंप्यूटर चलाने और ऑनलाइन पढाई की विभिन्न तकनीक का ज्ञान अर्जित करना होगा। ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से ‘हर एक किसी एक को सिखाए’ को अपनाकर हर बच्चे और व्यस्क तक शिक्षा पहुंचाई जा सकती है।
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