केंद्र सरकार ने 2017 में इसरो के पूर्व प्रमुख कस्तूरी रंगन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया, जिसने भारत के लिए एक नई शिक्षा नीति तैयार की । समिति ने 1 जून, 2019 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अपनी मसौदा रिपोर्ट जारी की। नयी शिक्षा नीति निबंध में पढ़िए कि नेप २०२० में कहाँ और क्या कमियाँ हैं। आप न्यू एजुकेशन पालिसी को कमियों को दूर करने के सुझाव नीचे लिख सकते हैं।
नयी शिक्षा नीति निबंध (कमियाँ) | हिन्दी निबंध | New education policy ki kamiyan hindi mein
- भारत जैसे विशाल देश के लिए एक ही शिक्षा नीति को समान रूप से लागू करना बहुत ही मूर्खता पूर्ण निर्णय है। 130 करोड़ की आबादी वाला देश जो अपनी विविधता के लिए विश्व में प्रसिद्ध है वहां भला एक केन्द्रीय पालिसी कैसे सफल हो सकती है।
2. भारत के उच्च शिक्षा विभाग, चिकित्सा और कानूनी विभाग को छोड़कर, को संभालने के लिए चार विभाग होंगे|इतने सारे संगठन होने से प्रशासनिक परेशानी और भ्रष्टाचार बढ़ सकता है। कोई एक संघठन दूसरे से सहमत नहीं होगा तो समय की बर्बादी होगी और फैसले लेने में देरी भी हो सकती है।
3. न्यू एजुकेशन पालिसी २०२० में संस्कृत पर ज़रुरत से ज्यादा ही ध्यान दिया जा रहा है| भारत का संविधान 22 भाषाओं को मान्यता देता है। संस्कृत के लिए हमारे देश में 6 विश्वविद्यालय हैं। जबकि, 2011 की जनगणना के अनुसार केवल 24821 लोगों ने संस्कृत को अपनी मातृभाषा के रूप में दावा किया है। इतनी कम लोगों की मातृभाषा के लिए पिछले 3 वर्षों में 643 करोड़ खर्च किए गए हैं।
यदि यह शास्त्रीय भाषा है, तो उन्होंने 643 करोड़ खर्च किए, इसी अवधि में तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, उड़िया सहित पांच शास्त्रीय भाषाओं पर केवल 29 करोड़ रुपये खर्च किए गए? लगभग ३२ करोड़ लोगों द्वारा बोली जाने वाली ५ शास्त्रीय भाषाओं के लिए २ ९ करोड़, लेकिन एक भाषा के लिए ६४३ करोड़, कैसी विडंबना है मेरी देश भारत की।
4. नयी शिक्षा नीति में कहा गया है की सभी सरकारी और गैर सरकारी उच्च शिक्षा देने वाले इंस्टिट्यूट पर एक जैसे नियम लागू होंगे। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इसमें केंद्र विद्यालय स्कूल, सैनिक स्कूल, आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी आदि शामिल हैं या नहीं। कुछ लोगों का कहना है कि केंद्र विद्यालय के स्कूलों का उद्देश्य केंद्र सरकार के लिए आवश्यक कर्मचारी बनाना है और इसलिए मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषामें शिक्षा प्रदान करना मुश्किल है।
5. वैसे भी ऊपर गिनाये गए कॉलेजों के अधिकांश छात्र विदेश में काम करने जा रहे हैं, तो लोगों के द्वारा भरे गया टैक्स के पैसे का उपयोग क्यों किया जाता है । इनमें पढ़ने वाले छात्र, पर कम से कम 3 या 5 साल की सेवा की आवश्यकता वाले नियमों को लागू किया जाना चाहिए, जैसे कि एएफएमसी(AFMC) में दाखिला लेने वाले मेडिकल के विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य है।
6. नयी शिक्षा नीति में यह प्रस्ताव रखा गया है कि पांचवी क्लास तक की पढ़ाई मातृभाषा में करवाई जाए तो बच्चों का दिमागी विकास अच्छे से होता है । और शिक्षा का माध्यम चुनने का अंतिम फैसला राज्य सरकारों की मर्ज़ी पर छोड़ दिया गया है। लेकिन अगर क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाने से देश में एक असंतुलन की स्थिति पैदा हो जायेगी।
मान लीजिये जब कोई बच्चा चौथी क्लास में पढता है और वे दक्षिण भारत में रहते है। उस समय अगर उसके माता या पिता का तबादला उत्तर भारत में हो जाता है तब वह बच्चा कौन सी भाषा में समझ पायेगा । क्योंकि उसने तो बचपन से तमिल,तेलुगु, या कन्नड़ भाषा ही बोली और लिखी होगी। शिक्षा के लिए एक कॉमन माध्यम होना अति आवश्यक है तभी देश में एकता और एकजुटता बनायी जा सकती है।
7. नई शिक्षा नीति के अनुसार, 676 जिलों में लगभग 2 लाख लोगों से परामर्श करने के बाद शिक्षा नीति तैयार की गई थी। 130 लाख लोगों के देश के लिए 2 लाख लोगों को से तर्क वितर्क करना काफी था क्या ?
नयी शिक्षा नीति निबंध: निष्कर्ष
NEP 2020 से ऐसा प्रतीत होता है कि जिन लोगों को शिक्षा नीति बनाने का काम सौंपा गया उन्हें पूरे देश के परेशानियों और चुनौतियों का पूरा ज्ञान नहीं था । पहले NTA द्वारा एक प्रवेश परीक्षा करवाई जानी चाहिए और जो नेता उसमे पास हो सके केवल उन्हें ही देश का भविष्य निर्धारित करने का काम सौंपा जाना चाहिए।
आप के विचार से नयी शिक्षा नीति में क्या कमियां या खूबियाँ हैं- कमेंट करके बताइए ताकि और लोगों तक आप के विचार पहुँच सकें।
नयी शिक्षा नीति की खामियों को गहराई से समझने के लिए पहले भारत की नयी शिक्षा नीति पर विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें भारत की नयी शिक्षा नीति
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