किसान बिल (Agriculture Bill) के फायदे और नुकसान- निबंध

भारत में 2020 में नया किसान बिल लाया गया है | जिसमें 3 नए कानून बनाये गए हैं |आइए जानते हैं कृषि कानून या किसान बिल के फायदे और नुकसान के बारे में |किसान बिल पर निबंध के द्वारा हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि कृषि बिल क्या है और किसान एग्रीकल्चर बिल के खिलाफ क्यों हैं? किसान विरोध क्यों कर रहे हैं? This essay on kisan bill is important from examination’s point of view. फार्म बिल के विरोध में हरियाणा और पंजाब के किसानों ने 26 जनवरी 2021 को दिल्ली के लाल किले पर जबरदस्त प्रदर्शन किया|

किसान बिल (Agriculture Bill) के फायदे और नुकसान- निबंध

किसान बिल 2020

  1. कृषक उपज व्यापर व वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा बिल)- मुक्त व्यापार
  2. कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण ) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा- न्यूनतम समर्थन मूल्य
  3. आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) बिल

किसान बिल के फायदे

  1. भारत सरकार का कहना है कि यह भारतीय कृषि क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक समझौता है |
  2. नए कृषि कानून के अंतर्गत किसान मुक्त व्यापार कर सकते हैं |अर्थात, अब भारत के किसान अपनी उपज १९६५ में स्थापित की गयी APMC में बेचने के लिए बाध्य नहीं हैं|

APMC क्या है?

3. भारत की सरकार का ऐसा मानना है कि प्रतिस्पर्धा बढ़ने से किसानों को फसलों की ऊंची कीमत मिलेगी और इससे किसानों का मनोबल और रहन-सहन दोनों सुधरेंगे| एपीएमसी में अपनी पैदावार बेचने के लिए या खरीदने के लिए टैक्स देना पड़ता है पर मुक्त बाजार में बेचने के लिए कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा|

4. जब किसान एपीएमसी में बेचने के लिए बाध्य नहीं होगा तो एपीएमसी में मनमानी कर रहे आढ़तियों का एकाधिकार समाप्त हो जाएगा|

5. एक देश एक बाज़ार पालिसी के अंतर्गत कृषि उत्पाद बाजार में सीधे बेचे जाएंगे |जिससे बिचौलियों का लेनदेन कम हो जाएगा और बिचौलियों का कमीशन कम हो जाने से वस्तुओं की कीमत भी कम हो जाएगी| इससे उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा और किसानों को भी |पहले से अधिक दाम मिलेंगे जिससे उनका मुनाफा बढ़ेगा और किसानों द्वारा की जाने वाली आत्महत्याओं पर रोक लगाई जा सकेगी|

6. जब किसान को अधिक मुनाफा होगा तो वह क्वालिटी(quality) पर ज्यादा ध्यान देगा| सरकार के मुताबिक फसलों के ऑनलाइन लेनदेन से किसानों को मदद होगी और कृषि का डिजिटाइजेशन भी संभव हो पायेगा|

7. भारतीय सरकार ने दाल, तिलहन, आलू, प्याज इत्यादि जैसे अन्य कई वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी से बाहर कर दिया है अर्थात उनका संग्रहण किया जा सकता है| सरकार का कहना है कि इससे कृषि उत्पाद गोदामों में पड़े सड़ेंगे नहीं|

8. एपीएमसी में बिचौलियों के द्वारा गुट बंदी की जाती थी और गैर कानूनी रूप से माल की जमाखोरी की जाती थी ताकि कीमतें बढ़ाई जा सके |लेकिन मुक्त व्यापार से जमाखोरी पर रोक लगाई जा सकेगी |पूरे देश को एकजुट बनाने के लिए सरकार ने मुक्त व्यापार की घोषणा की है ताकिकिसान अपने राज्य में और किसी भी राज्य में बिना किसी रोक टोक के अपना उत्पाद बेच सके|

9. अनुबंध कृषि या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से किसानों का जोखिम कम हो जाएगा और फसल पकने पर उन्हें खरीदार को ढूँढना नहीं पड़ेगा| इससे वे बिना किसी चिंता के अपनी खेती पर ध्यान दे सकते हैं|

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किसान बिल के नुकसान

किसान एग्रीकल्नचर बिल का विरोध क्यों कर रहे हैं-

  1. सरकार के अनुसार यह एक एतिहासिक बिल है तो सरकार ने इसे बिनी किसी विचार-विमर्श करवाए इसे कोरोना लॉक डाउन में आपातकाल में राष्ट्रपति के द्वारा अध्यादेश के रूप में लागू क्यों करवाया?

2. टैक्स के रूप में एपीएमसी से होने वाली आय बंद हो जाएगी| पंजाब राज्य में एपीएमसी में 6 % टैक्स लिया जाता है| जिससे पंजाब की सरकार को 3000 करोड रुपए की आमदनी होती है जिसका इस्तेमाल गांव के विकास और सड़कें आदि बनाने के लिए किया जाता है|तो राज्य सरकार यह पैसा कहाँ से लाएगी?

3. बिना सरकारी हस्तक्षेप के प्राइवेट कंपनी के इस क्षेत्र में आ जाने से वे अपना प्रभुत्व स्थापित कर लेंगे | जिससे किसान उनकी शर्तें मानने के लिए मजबूर हो जायेंगे |

4. धीरे-धीरे एपीएमसी और सरकारी हस्तक्षेप दोनों खत्म हो जाएंगे जिसके कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य के भी खत्म हो जाने की आशंका है, जो किसान के लिए बहुत बड़ा सहारा होता है |

5. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में यदि बाज़ार की कीमत तय की गई कीमत से कम हो जाती है तो प्राइवेट कंपनी वाले कुछ ना कुछ बहाने बनाकर किसानों से माल लेने को मना कर देते हैं |जिसके कारण किसान दुविधा में पड़ जाते हैं क्योंकि कम पढ़े लिखे होने के कारण वे कानूनी दांवपेच का भी उपयोग नहीं कर सकते और निजी कंपनियां अपने बड़े आकर और अधिक पूँजी, प्रभाव, और राजनीतिक पहुँच का फायदा ले जाती है|

6. किसी भी तरह का विवाद होने पर एसडीएम या डिप्टी कमिश्नर के पास ही जल्दी से निपटारा कर दिया जाएगा| लेकिन यह बातें कागजों पर आसान लगती है और असलियत में यह बहुत मुश्किल होती है, क्योंकि गरीब किसानों को कानून समझ में नहीं आते| 2014 में पेप्सी कंपनी ने गुजरात के कुछ आलू उगाने वाले किसानों पर एक करोड़ का केस कर दिया, यह कह कर कि उनका आलू घटिया क्वालिटी का था |

7. जिस तरह आढ़ती गुटबाजी (cartel) करके किसानों को कम कीमत पर अपना माल बेचने को मजबूर करते थे, वही काम निजी कंपनियां भी करेंगी और वे अपनी ताकत से कीमतों को प्रभावित कर सकती है|

8. भारत में 86% छोटे किसानों हैं, जिनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है| ऐसे किसान अपनी उपज को दूसरे राज्य में पहुंचाने का खर्चा उठाने में भी सक्षम नहीं है तो उन्हें इस मुक्त बाजार का भी कोई लाभ नहीं होगा और एपीएमसी बंद हो जाने से वे अपना माल वहां भी नहीं बेच पाएंगे जिससे उनके भूखे मरने की नौबत आ सकती है|

9. सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन करके बिल्कुल गलत किया है क्योंकि निजी व्यापारी किसानों से सस्ते दाम पर माल खरीद कर जमाखोरी करेंगे और फिर दाम बढ़ाकर मार्केट में बेचेंगे जिससे ब्लैक मार्केटिंग को बढ़ावा मिलेगा|

कृषि कानून के आने पर एक ओर तो सरकार इसे ऐतिहासिक फैसला बता कर खुश हो रही है कि वह इस कानून के द्वारा 2022 तक किसानों की आमदनी को दुगना कर देगी| वहीं दूसरी ओर पूरे देश के किसान खासतौर पर हरियाणा और पंजाब के किसान विरोध कर रहे हैं कि सरकार एमएसपी(MSP) को खत्म करने के लिए यह सब चाल चल रही है क्योंकि न्यूनतम समर्थन मूल्य की वजह से भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India- FCI) पर ढाई लाख करोड़ रूपए का बोझ है|

किसान बिल का समाधान

किसान बिल के फायदे और नुकासान पढ़ने के बाद ज़रुरत है कि इसके बीच का कोई रास्ता निकाला जाए| किसान चाहते हैं कि इसमें दो बातें और जोड़ दी जाए-

  • पहला, एपीएमसी में सुधार किया जाए ना कि उसे पूरी तरह से ख़त्म करें| राज्यों में और अधिक APMC बनायें|
  • दूसरा, एमएसपी को सख्ती से लागू किया जाए कि कोई भी चाहे वह सरकारी ट्रेडर हो या निजी ट्रेडर वे किसानों को एमएसपी से कम कीमत पर अपनी फसल बेचने को मजबूर ना करें तभी हम किसानों द्वारा की जाने वाली आत्महत्याओं को रोक सकते हैं|

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