सार्थक की हिंदी कविता चक्र | Hindi Poem Chakra

प्रकृति के बारे में 8 पंक्तियों की एक छोटी सी कविता के माध्यम से कवि अपने मन की बात आप तक पहुँचाना चाहते हैं

चक्र

ये आश्का उस अंबर की,

जो अश्रु अक्षियों को भी दिए।

भू गर्भ से निकले गंगा जैसे,

हृदय के दुख हम रो दिए।

रुष्ट भूमि ये रुखसार की,

इसपर सुख जन्माना है।

वारि सिंचन करे जो इसका,

हास्य पुष्पित पुनः हो जाना है।

Sarthak’s Poem about Womanhood

शब्दकोष (Glossary)
आश्का आशीर्वाद blessings
अम्बर आसमांsky
अश्रु आँसूtears
अक्षि आँख eye
भू-गर्भ धरती का केंद्र earth’s core
रुष्ट नाराज़ upset
वारि पानी/जल water
सिंचन पानी से सिंचाई या छिडकाव irrigation
पुष्पित फूल खिलना to bloom

यह कविता सार्थक गुप्ता के द्वारा लिखी गयी है। इनके शब्दों में गूढ़ अर्थ छिपे होते हैं। BAMS की पढ़ाई की व्यस्तता के बावजूद भी अपने मन के भावों को कविताओं के माध्यम से व्यक्त करना इनका शौंक है। इन्हें प्रकृति और जीव जंतुओं से ख़ास लगाव है। इनका जीवन सादगी और सरलता से भरपूर है। ये छोटी सी आयु में बड़ी गंभीर बातें लिखते हैं। इस कविता पर अपनी प्रतिक्रिया कमेंट बॉक्स में साझा करें।

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