Hindi Kavyansh MCQ Answers – देश के आजाद होने पर बिता लंबी अवधि

काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए-

आपकी सहायता के लिए सभी प्रश्नों के उत्तर उनके कारण सहित लिखे गए हैं, ताकि आप उन्हें रटने के बजाय समझकर लिख सकें.

Hindi Kavyansh MCQ with Answers

Hindi Kavyansh MCQ with Answers

Hindi Kavyansh MCQ with Answers

देश के आजाद होने पर बिता लंबी अवधि

अब असहय इस दर्द से हैं धमनियाँ फटने लगीं

व्यर्थ सीढ़ीदार खेतों में कड़ी मेहनत किए

हो गया हूँ और जर्जर, बोझ ढोकर थक गया

अब मरूँगा तो जलाने के लिए मुझको,

अरे! दो लकड़ियाँ भी नहीं होंगी सुलभ इन जंगलों से ।

वन कहाँ हैं ? जब कुल्हाड़ों की तृषा है बढ़ रही

काट डाले जा रहे हैं मानवों के बंधु तरुवर

फूल से, फल से, दलों से, मूल से, तरु-छाल से

सर्वस्व देकर जो मनुज को लाभ पहुँचाते सदा

कट रहे हैं ये सभी वन,

पर्वतों की दिव्य शोभा हैं निरंतर हो रही विद्रूप,

ऋतुएँ रो रहीं गगनचुम्बी वन सदा जिनके हृदय से

फूटते झरने, नदी बहती सुशीतल नीर की

हर पहर नित चहकते हैं कूकते रहते विहग

फूल पृथ्वी का सहज श्रृंगार करते हैं जहाँ |


नीचे दिए गए अपठित काव्यांश MCQ के सही उत्तर चुनिये –

(i) ‘अब असहय इस दर्द से में असह्य दर्द का कारण क्या है ?

(क) आज़ादी के बाद लंबी अवधि बिता देना |

(ख) खेतों में कड़ी मेहनत करना ।

(ग) वनों का न रहना |

(घ) जर्जर हो जाना |

ANS: (ग) वनों का न रहना |
कवि आज़ादी के इतने सालों के बाद भी पेड़ों का काटना बंद ना होने से अत्यधिक दर्द का अनुभव कर रहा है.

(ii) ‘जब कुल्हाड़ों की तृषा है बढ़ रही कथन से क्या तात्पर्य है ?

(क) हिंसा बढ़ना |

(ख) सामाजिक क्रांति होना ।

(ग) युद्ध का अवसर आना |

(घ) पेड़ों को काटकर भी तृप्त न होना |

ANS: (घ) पेड़ों को काटकर भी तृप्त न होना |
इतने पेड़ों को काटकर भी कुल्हाड़ी की भूख (तृषा) ख़त्म नहीं हो रही है.

(iii) अंत्येष्टि के लिए लकड़ियाँ सुलभ न होने का कारण है-

(क) वन काटे जा रहे हैं ।

(ख) वर्षा के अभाव में वनों का सूखना |

(ग) वन महोत्सव |

(घ) मुनाफाखोरी |

ANS: (क) वन काटे जा रहे हैं ।
धडाधड़ लकड़ियाँ काटने की वजह से मृतक शरीर को जलाने के लिए भी लकड़ियाँ उपलब्ध नहीं हैं.

(iv) पेड़ों को मानव-बंधु क्यों कहा गया है ?

(क) मानव पेड़ों का व्यापार करता है ।

(ख) पेड़ हमें अपना सर्वस्व देते हैं ।

(ग) पेड़ हमें ईंधन देते हैं ।

(घ) मानव पेड़ों का रक्षक है।

ANS: ख) पेड़ हमें अपना सर्वस्व देते हैं ।
पेड़ों के फल, फूल, जड़, तना, पत्तियां आदि सभी मनुष्य के लिए लाभप्रद हैं.

(v) इस कविता में क्या प्रेरणा दी गई है ?

(क) स्वच्छता की |

(ख) स्वार्थी बनने की |

(ग) वन कटाई की |

(घ) वन संरक्षण की |

ANS: (घ) वन संरक्षण की |
वनों को कटने से बचाया जाना चाहिए.

अथवा

मैं बचपन को बुला रही थी बोल उठी बिटिया मेरी । नन्दन वन-सी फूल उठी यह छोटी-सी कुटिया मेरी ।।

‘माँ ओ’ कहकर बुला रही थी मिट्टी खाकर आई थीं। कुछ मुँह में कुछ लिए हाथ में मुझे खिलाने लाई थी। । पुलक रहे थे अंग, दृगों में कौतुहल था छलक रहा । मुँह पर थी आहलाद लालिमा विजय गर्व था झलक रहा ।। मैंने पूछा ‘यह क्या लाई? बोल उठी वह ‘माँ, काओ’। हुआ प्रफुल्लित हृदय खुशी से मैंने कहा- ‘तुम्हीं खाओ ।।

पाया मैंने बचपन फिर से बचपन बेटी बन आया। उसकी मंजुल मूर्ति देखकर मुझ में नवजीवन आया ।। मैं भी उसके साथ खेलती खाती हूँ, तुतलाती हूँ। मिलकर उसके साथ स्वयं मैं भी बच्ची बन जाती हूँ ।।

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