ई-कचरा पर निबंध | Essay on E-Waste in Hindi

ई-कचरा एक नया विषय है जिसके बारे में विद्यार्थियों और अध्यापकों को अधिक जानकारी अभी नहीं है। परन्तु परीक्षा की दृष्टि से यह अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसलिए essayshout ने बहुत रिसर्च के बाद कक्षा 6 से 12 और UPSC स्टूडेंट्स के लिए ‘ई-कचरा पर निबंध’ तैयार किया है। इसे पढ़ने के बाद ही आपको ज्ञात होगा कि ई-वेस्ट का निपटारा कितनी विशाल समस्या है। यह ‘Essay on E-Waste in Hindi’ आपके ज्ञान के दायरे को बढ़ाने में मदद करेगा।

ई-कचरा पर निबंध | Essay on E-Waste in Hindi

ई-कचरा क्या है | What is E-Waste in Hindi

आधुनिक समय में हर घर में एक वाशिंग मशीन, टेलीविज़न, कूलर, हीटर, एयर कंडीशनर, कंप्यूटर, आई-पैड, टेलीविजन, सेल फोन हैं। आज चार में से तीन भारतीयों के पास मोबाइल फोन हैं।हर पांच में से एक व्यक्ति की कंप्यूटर तक पहुंच है। तकनीक में परिवर्तन के कारण जब ये घरेलू उपकरण उपयोग में नहीं आते और फेंक दिए जाते हैं तो इन्हें ई- कचरा या E-Waste की संज्ञा दी जाती है।

ई-कचरे के बढ़ने के कारण

आईटी उद्योग में तेजी से उछाल के कारण इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग में वृद्धि हुई है। मोबाइल फ़ोन तेज गति से आउट-ऑफ-फ़ैशन और अनावश्यक हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें त्याग दिया जाता है। इससे बड़ी मात्रा में जहरीले ई-कचरे का उत्पादन होता है।

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट – ए न्यू सर्कुलर विज़न फॉर इलेक्ट्रॉनिक्स (A New Circular Vision for Electronics)  के अनुसार दुनिया में हर साल 50 मिलियन टन इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल वेस्ट (ई-वेस्ट) का उत्पादन होता है। डिजिटलीकरण की बढती रफ़्तार की वजह से भारत में बहुत तेज़ गति से ई- कचरा फेंका जा रहा है।

ई-वेस्ट का पर्यावरण पर प्रभाव

ई-कचरे में प्लास्टिक और कांच के अलावा कैडमियम, लेड, मरकरी, पॉली-क्लोरीनयुक्त बाइफिनाइल्स जैसे खतरनाक रसायनों का मिश्रण है। ये हानिकारक रसायन लैंडफिल से मिट्टी में प्रवेश करते हैं और जल निकायों को दूषित करते हैं। ई-कचरा जलाए जाने पर हवा में जहरीली गैसों को छोड़ता है और वायु प्रदुषण को बढाता है।

भारत में दस राज्य कुल ई-कचरे का 70% उत्पन्न करते हैं। विकासशील देशों में भारत ई-कचरे के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। इसके अलावा, भारत कई विकसित देशों के लिए अपने स्वयं के ई-कचरे को बाहर निकालने का गंतव्य है।

ई-कचरे के निपटान का तरीका

  • ई वेस्ट के सही निपटारे के लिए इनका सही विधि से संग्रहण और नियंत्रण होना चाहिए
  • अनुपयोगी सामानों का रीफर्बिशिंग (Refurbishing) कर उसके उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
  • उपभोक्ताओं के लिए एक्सचेंज ऑफर या बाय बैक स्कीम (buy back scheme) के द्वारा छोड़े गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को वापसी लेना
  • ई-वेस्ट को एकत्र करने वाले लोगों को आर्थिक लाभ देकर प्रोत्साहित किया जा सकता है ।
  • पुरानी, लेकिन अधिक समय तक चलने वाली वस्तुओं की कम कीमत रखकर इनके दोबारा प्रयोग को बढ़ावा देकर ई कचरे को कुछ हद तक कम किया जा सकता है, इससे गरीब और निम्न आय वाले लोगों की पहुँच भी महंगी वस्तुओं तक हो पाएगी।
  • अंत में, नगरपालिका व जनसमुदाय की भागीदारी के माध्यम से ई-कचरे का बेहतर निष्पादन किया जा सकता है। 

ई-वेस्ट निपटान के लिए सरकारी कदम

2012 में, सरकार ने ई-कचरा प्रबंधन और हैंडलिंग नियम कानून पारित किया, जिसमें कहा गया है कि एजेंसियों के पास लाइसेंस होना चाहिए और प्रदूषण मानकों, और श्रम कानूनों का पालन करना चाहिए। उल्लंघनकर्ताओं पर 1 लाख तक का जुर्माना और 7 साल तक की जेल की घोषणा की जाएगी। उत्पादक कंपनियों को अपने पुराने इलेक्ट्रॉनिक सामानों की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए।

ई-पारसारा प्रा। लिमिटेड, भारत का पहला सरकारी अधिकृत इलेक्ट्रॉनिक कचरा रिसाइकिलर है, जिसने सितंबर 2005 से परिचालन शुरू किया। पर्यावरण के अनुकूल तरीके से अपशिष्ट विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (WEEE) के संचालन, पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग में लगा हुआ है। यह पहल इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल उपकरणों के उपयोग और संचय को कम करने के उद्देश्य से है, जो ज्यादातर लैंडफिल्स में समाप्त होते हैं या आंशिक रूप सेअस्वच्छ परिस्थितियों में पुनर्नवीनीकरण किए जाते हैं और फिर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।

उपसंहार: ई-कचरा निबंध

हालाँकि, सभी देशों की सरकारें कचरा प्रबंधन को लेकर सचेत है और ज़रूरी कानून भी बनाये गए हैं लेकिन लोगों के सहयोग के बिना यह संभव नहीं है। ई-कचरे के विषय में जागरूकता नगण्य है। लोगों को इसके विनाशकारी परिणामों से आगाह करवाना अत्यंत आवश्यक है तभी प्रत्येक घर से निकलने वाले ई-वेस्ट को कम किया जा सकेगा।

जानकारी है कि मोबाइल फोन पीसीबी बोर्ड के दूसरी तरफ कीबोर्ड के पास सोना लगा होता है। साइनाइड थायोयूरिया जैसे रासायनिक पदार्थ का इस्तेमाल कर यह सोना निकाला जाता है। स्पष्ट है कि ई-कचरा सिर्फ कचरा नहीं है। सोने की खान भी है।

ई-कचरा पर निबंध पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है? यदि आप ई-कचरे के निबटान का कोई प्रभावी तरीका जानते हैं तो नीचे लिखकर राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग दीजिये और सुनहरे भविष्य का सपना साकार करिए।

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