नारी सशक्तिकरण और नारी विकास आज केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए एक मुख्य मुद्दा है। भारत ने विशेष तौर पर महिलाओं को घर की चार दीवारी से बाहर लाने के लिए विशेष प्रयत्न किए हैं। जिसके परिणामस्वरूप हर क्षेत्र में औरतें आगे आ रही हैं। भारत में वर्ष 2022 में राष्ट्रपति पद के लिए एक महिला – श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को चुना गया है। भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होनें ब्रह्म कुमारी सेंटर में महिलाओं को आगे लाने की बात कही और महिला सशक्तिकरण पर भाषण दिया।
ब्रह्म कुमारी सेंटर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भाषण | Women Empowerment Hindi Speech by Droupadi Murmu
नारी, नारी के बारे में सब लोग यह बात कहते हैं लेकिन हम सब जानते हैं कि ‘नारी नर्क का द्वार नहीं स्वर्ग का द्वार है’। इस बात को इस संस्था ने प्रमाणित कर दिया है। आज चाहे कोई भी संस्था हो, विश्वविद्यालय हो, हर संस्था की लीडर होती है महिलाएं, बहनें।
शक्ति के बिना सब अधूरा है क्योंकि शक्ति और शिव दोनों के प्रभाव से ही ताकत मिलती है, ऊर्जा मिलती है। शक्ति के बिना शिव अधूरा है। इसीलिए ब्रह्मा ने शक्ति को शिव के साथ रखा है। क्योंकि वह जानते हैं कि महिला शक्ति का रूप है। ये सुख, शांति, आनंद और प्रेम की जीती जागती मिसाल है।
किसी के बोलने से या किताबों में लिख देने से यह तथ्य बदल नहीं जाएगा।आज लोगों की मानसिक स्थिति को बदलना जरूरी है, और यह बदल भी चुका है। आज केवल भारत में ही नहीं सारे विश्व में कहते हैं कि महिलाओं को आगे लाना होगा। हमें महिलाओं को नेगलेक्ट नहीं करना चाहिए। उन्हें आगे लाना चाहिए।
आज नौकरियों में और हर चीज में आरक्षण के लिए नारा लग रहा है, लेकिन मैं जानती हूं कि औरतों में इतना पोटेंशियल है कि वह हर काम में आगे आई हैं। जैसे कि आज बॉर्डर सिक्योरिटी में भी औरतें आगे हैं। वे ऐसे – ऐसे काम करती है जो भाई लोग नहीं कर सकते। आज औरतों में जुनून है कि मुझे आगे बढ़ना है, मुझे कुछ करना है। वे यह नहीं देखती कि मेरे पीछे कोई रहना चाहिए, केवल वह खुद आगे बढ़ना चाहती है।
आज आप देखेंगे कि कोई सीबीएसई का रिजल्ट, कोई मेडिकल का रिजल्ट ,कोई आईएस, इंजीनियर एमबीबीएस, कोई भी रिजल्ट हो, बहनों और छात्राओं का नाम 50% से ज्यादा रहता है। वे अपने आप को साबित (प्रूव) करना चाहती हैं। वे आगे बढ़ना चाहती हैं, उन्हें विश्वास है कि वे आगे जा सकती हैं।
इतनी सारी संस्थाओं को एक सूत्र में बांधना कोई मासी का घर नहीं है। इतने लोगों को इकट्ठा करना, उनका मानसिक परिवर्तन करना कोई आसान काम नहीं है। जब समाज के सब लोग आगे बढ़ेंगे, इसमे शामिल होंगे, तभी यह संभव होगा। मुट्ठी भर मानव के साथ कोई परिवर्तन नहीं हो सकता। सब को आगे लाना होगा और सबको आगे आना होगा।
आज हम सभी जानते हैं कि जनसंख्या वृद्धि तेजी से हो रही है और इस बढ़ी हुई जनसंख्या को खिलाने के लिए अन्न की भी ज्यादा पैदावार की जरूरत है। इसलिए रासायनिक खाद का प्रयोग हो रहा है लेकिन हम जानते हैं कि इस रासायनिक उर्वरक के प्रयोग से तरह-तरह की बीमारियां हो रही हैं। इसलिए हमें बदलाव लाना है कि हम इस रासायनिक उर्वरक का प्रयोग बंद करके ऑर्गेनिक खाद का प्रयोग शुरू करें।
भाइयों और बहनों, सारे विश्व में स्वच्छता का अभियान चल रहा है लेकिन इस संस्था का पहले से ही मुद्दा है स्वच्छता एवं पवित्रता। केवल बाह्य नहीं आंतरिक स्वच्छता की आवश्यकता है। इस संस्था का असली मुद्दा है मन, वचन, कर्म में स्वच्छता, दृष्टि, धृति और कर्त्ति में स्वच्छता, चाल – चलन, चेहरे में स्वच्छता, कथनी और करनी में समन्वयता। हमें बाह्य स्वच्छता के साथ-साथ आंतरिक स्वच्छता के बारे में भी लोगों को समझाना है। स्वच्छता को बनाए रखने के लिए सभी लोग प्रयास कर रहे हैं। बहने गांव-गांव, घर-घर जाकर कैसे लोगों को समझाती हैं, उनकी मानसिकता को पुनर्स्थापित करने के लिए बहुत मेहनत करते हैं।
जो लोग इस संस्था से जुड़ चुके हैं उनका तो परिवर्तन हो चुका है। इसलिए हम सबको प्रयास करना होगा कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस संस्था से कैसे जुड़े। वैसे तो आजकल विज्ञापन की दुनिया है, ऐसे दिखाते हैं कि यह लोग इतने सफेद पेंट – शर्ट, वेशभूषा पहनते हैं इसीलिए लोग इनके पास जाते हैं। लेकिन हम जब यहां से जाएंगे तो हम लोगों को समझाएंगे की कितनी सहजता से आप इन लोगों के साथ जुड़ सकते हैं और उन्हें फॉलो कर सकते हैं।
इस संस्था का लक्ष्य है बेहतर समाज की स्थापना करना। मुझे लगता है अगर हम इसी तरह प्रयास करते रहेंगे तो इस समाज में बदलाव आएगा, जो गांधी जी का सपना था राम राज, जरूर लौटेगा। इसके लिए हम सबको, जो गृहस्थ महिलाएं हैं उन्हें भी प्रयास करना होगा।
कहते हैं कि ‘एग्जांपल इज बेटर दैन एडवाइस’ (Example is better than advice’)। हमें अपने आपको उदाहरण बनाना होगा। मैं जो सेंटर से बिलॉन्ग करती हूं वहां एक बार मुझे बहन जी ने कहा कि दीदी आप एक गाना गाइए। मुझे गाना नहीं आता लेकिन मुझे एक पिक्चर का गाना याद आ गया। जो खिल सके ना वो फूल हम है, तुम्हारे चरणों की धूल हम हैं ,दया की दृष्टि सदा ही रखना, तुम ही हो माता पिता तुम्हीं हो बंधु सखा। बहन जी ने कहा कि बाबा कहते हैं आप चरणों की धूल नहीं हैं। आप तो मेरे दिल की धड़कन है, आप मेरी आंखों का तारा हो, आप तो राजा है, राजा बेटा है। दया की दृष्टि नहीं मात पिता अपने बच्चों पर दया नहीं करते, बाबा कहते हैं जो कुछ मेरा है वह तुम्हारा है तुम्हें दया की जरूरत नहीं है। कई बार माता-पिता गुस्सा करते हैं अपने बच्चों को कहते हैं कि तुम्हें एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिलेगी लेकिन फिर भी मिल जाते हैं।
हम सभी में क्वालिटी हैं लेकिन हमें उस को पहचानना चाहिए। इसलिए आपके चाल – चलन और चेहरे में शुद्धता आनी चाहिए, आप की वृति में शुद्धता आनी चाहिए। विश्व का परिवर्तन जरूर होगा। आज हमे नकारात्मक सोच को छोड़कर सकरात्मकता को ढूंढना है। जो बच्चे रास्ता भूल गए हैं उन्हें वैल्यू एजुकेशन के द्वारा रास्ता दिखाना हमारा काम है। मैं उम्मीद करती हूं यह बदलाव जरूर आएगा और यह गीत ‘हम होंगे कामयाब एक दिन’ जरूर पूरा होगा।
Changing Role of Women in India
आज की नारी सब पर भारी’ निबंध
माँ के बारे में छोटी सी कविता
मातृ दिवस हिंदी निबंध
मेरे जीवन का उद्देश्य निबंध