भगवान कृष्ण के जीवन से एक दिलचस्प कहानी लिखिए

भगवान कृष्ण के जीवन से एक दिलचस्प कहानी लिखिए जिसमें कोई शिक्षा हो

Write an interesting story with a moral from lord Krishna’s life in Hindi for students of class 10 in Hindi

Bhagwan Krishna ke jeevan se ek dilchasp kahani likhiye jismein koi shiksha ho.

Title: सत्य और धर्म का पालन

बहुत समय पहले की बात है, भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं दीं, जिनमें से एक थी सत्य और धर्म का पालन करना। यह कहानी उसी के बारे में है।

कंस के अत्याचार से मथुरा की जनता त्रस्त थी। कंस ने अपने पिता उग्रसेन को कारागार में डाल दिया था और स्वयं राजा बन गया था। वह अत्याचारी और निर्दयी था। लोगों की दुर्दशा देखकर भगवान कृष्ण ने कंस का अंत करने का संकल्प लिया।

एक दिन, कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए अपने सेनापति अक्रूर को गोकुल भेजा। अक्रूर को श्रीकृष्ण के साथ छल करने का आदेश मिला था, लेकिन जब अक्रूर गोकुल पहुँचा और श्रीकृष्ण के दर्शन किए, तो उनका मन बदल गया। उन्होंने भगवान कृष्ण से सच्चाई बयान की और उनसे मथुरा चलने का अनुरोध किया।

श्रीकृष्ण ने अक्रूर की बात मानी और मथुरा जाने का निश्चय किया। मथुरा पहुंचकर श्रीकृष्ण ने देखा कि कंस के दरबार में अत्याचार और अनाचार का बोलबाला है। उन्होंने कंस को चुनौती दी और उसे युद्ध के लिए बुलाया। कंस ने यह सोचकर श्रीकृष्ण को कमजोर समझा कि वह एक साधारण ग्वाले का पुत्र है, लेकिन श्रीकृष्ण ने अपने अद्वितीय पराक्रम से कंस का अंत कर दिया और मथुरा को अत्याचार से मुक्त कर दिया।

श्रीकृष्ण ने कंस को मारकर सत्य और धर्म का पालन किया और दुनिया को यह संदेश दिया कि जो भी अन्याय और अधर्म करता है, उसे अपने कर्मों का फल अवश्य भुगतना पड़ता है।

मूल्य: सत्य और धर्म की राह पर चलने वाले को कोई पराजित नहीं कर सकता। अधर्म और अन्याय का अंत निश्चित है, चाहे वह कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो।


कृष्ण और माखन चोरी

बालकृष्ण का बाल्यकाल मथुरा के गोकुल गांव में बीता। वहां वे अपने बालसखाओं के साथ खूब खेलते और तरह-तरह की शरारतें करते। उन शरारतों में से सबसे मशहूर थी “माखन चोरी।”

गोकुल के सभी घरों में माखन (मक्खन) बनाया जाता था, और श्रीकृष्ण को माखन बहुत पसंद था। वे अपने दोस्तों के साथ मिलकर घर-घर जाकर माखन चुराते और खाते।

एक दिन, श्रीकृष्ण की माखन चोरी की शिकायत गांव की महिलाओं ने उनकी माँ यशोदा से की। यशोदा जी ने सोचा कि आज श्रीकृष्ण को रंगे हाथों पकड़ेंगी। उन्होंने माखन के बर्तन को ऊँचाई पर टांग दिया और सोचा कि अब कृष्ण माखन नहीं चुरा पाएंगे।

लेकिन बालकृष्ण और उनके दोस्तों ने एक नई तरकीब निकाली। उन्होंने पिरामिड जैसा ढांचा बनाया, जिसमें एक-दूसरे के कंधों पर चढ़कर कृष्ण सबसे ऊपर पहुंच गए और आसानी से माखन का बर्तन उतार लिया। सभी ने खूब माखन खाया और मजे किए।

जब यशोदा जी ने देखा कि माखन का बर्तन खाली है, तो उन्होंने कृष्ण को डांटने के लिए बुलाया। लेकिन जब उन्होंने कृष्ण का मुस्कुराता चेहरा और माखन से सनी हुई उनकी क्यूट सी शक्ल देखी, तो उनका गुस्सा तुरंत गायब हो गया। वे भी हंसने लगीं और कृष्ण को गले लगा लिया।

मूल्य: यह कहानी हमें सिखाती है कि मासूमियत और प्यार से भरी शरारतें जीवन में खुशी लाती हैं। इसके अलावा, भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की शरारतें बच्चों के लिए आनंद का स्रोत बन जाती हैं।

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