इस आर्टिकल में भारत सरकार द्वारा चलाये गए ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान पर विस्तृत जानकारी दी गयी है। कक्षा 6-12 के स्टूडेंट्स इस हिन्दी निबंध को अपनी ज़रुरत के अनुसार छोटा या बड़ा लिख सकते हैं।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Long Essay on Beti Bachao Beti Padhao in Hindi)
‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान’ क्या है
आज भारत विकासशील देशों की सूची से निकलकर विकसित देशों में गणना की ओर अग्रसर हो रहा है। भारत की पूरे विश्व में एक अलग पहचान है, पर आज भी भारतीय समाज के कुछ हिस्सों में बेटियों या औरतों को लेकर लैंगिक असमानताएं हैं। जिनके कारण लड़के और लड़की में भेदभाव किया जाता है। इस सामाजिक असमानता को दूर करने के लिए एक योजना की शुरुआत की गयी, जिसका नाम, ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ रखा गया। इसका मतलब है कि लड़की को बचाएं और शिक्षित करें।
इस अभियान की शुरुआत माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर मोदी ने 22 जनवरी 2015 को हरियाणा राज्य के पानीपत में की। हरियाणा राज्य से ही इसकी शुरुआत इसलिए की गई क्योंकि हरियाणा में लिंग अनुपात 775 लड़कियों पर 1000 लड़कों का था जो कि बहुत ही दयनीय स्थिति को दर्शाता है।
बेटे का सम्मान है जग में बेटी का कोई मान नहीं, दुनिया वालों मुझे बता दो बेटी क्या संतान नहीं?
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की आवश्यकता
अल्ट्रासाउंड के द्वारा लिंग का पता लगाकर कन्या भ्रूण हत्या के कारण बेटियों की संख्या में कमी आ रही थी। भ्रूण हत्या का मतलब है कि लड़की पैदा होने से पहले ही उसे मार डालना । जब अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध नहीं थी तो गांव और कस्बों में लड़कियों को पैदा होते ही मार दिया जाता था। नवजात कन्याओं को पानी में बहा दिया जाता था या गला दबा कर उनकी हत्या कर दी जाती थी। जन्म के बाद भी लड़कियों को कई तरह के भेदभाव झेलने पड़ते हैं। जैसे कि शिक्षा, खानपान, स्वास्थ्य, इत्यादि सुविधाओं में अंतर।
कुछ गांव और परंपरागत इलाकों में रहने वाले लोग ऐसा मानते हैं कि बेटियां या औरतें केवल घर का काम कर सकती हैं । वह बाहर जाकर पैसा नहीं कमा सकती । इसी सोच को गलत साबित करने के लिए इस योजना का शुभारंभ किया गया। इस योजना के अनुसार लड़कियों की शिक्षा के लिए उचित और मुफ्त व्यवस्था की गई है, ताकि लड़कियां भी पढ़ लिखकर पूरे देश को दिखा सके कि उन्हें भी भगवान ने एक जैसा दिमाग दिया है, एक जैसा हुनर दिया है। लिंग के भेद के कारण दिमाग में भेद नहीं होता।
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बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान का उद्देश्य
- लिंग पक्षपाती सेक्स चयनात्मक उन्मूलन की रोकथाम
- बालिकाओं के अस्तित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करना
- शिक्षा और बालिकाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की उपलब्धियां:
- नवजात बच्चियों की माताओं को जिला अस्पताल में ही सम्मानित किया जाता है ताकि लड़की के पैदा होने पर भी वे गौरान्वित महसूस करें।
- बालिका के मूल्य के बारे में ग्रामीण और शहरी समुदायों को संवेदनशील बनाना।
- उन ग्राम पंचायतों को सम्मानित करना जहाँ पिछले वर्षों की तुलना में ज्यादा बेटियों का जन्म हुआ है।
- जिला प्रशासन बालिका के लिए जन्म-दिवस समारोह आयोजित करता है।
- गर्ल चाइल्ड की अनमोलता के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना।
लड़कियों का अस्तित्व सुरक्षित करने के लिए निमंलिखित योजनायें चल रही हैं-
- उच्च सेक्स अनुपात के साथ पंचायतों को सम्मानित करना
- बिटिया और बिरवा
- लड़कियों की सुरक्षा
- बेटी जन्म उत्सव
- बाल विवाह को रोकना
- बाल यौन उत्पीड़न के खिलाफ अभियान
लड़कियों को शिक्षित बनाने के लिए कार्यक्रम
- किशोर बालिका क्लब
- बालिका मंच की स्थापना
- आओ स्कूल चले
- कलेक्टर की कक्षा
- उमंग- एक पहल
- मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन पर जागरूकता उत्पन्न करना
लड़कियों की भागीदारी
- कन्या रत्न उत्सव
- पुरुषों में लिंग संवेदनशीलता
- महिलाओं की संसद
- 25 सास बहू सम्मेलन
उपसंहार– बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम
अगर लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या इसी प्रकार कम होती रहेगी तो कल को आप अपने लड़कों के लिए पत्नी कहाँ से लायेंगे? इसलिए यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम अपनी बेटियों और बहुओं को सम्मान दें। तभी भारत का पूर्ण विकास संभव होगा। याद रखें परिवार और समाज तभी आगे बढ़ेगा जब महिला विकास होगा।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध के बारे में आप क्या सोचते हैं? समाज में लड़कियों को आगे बढ़ने के लिए कैसे प्रेरित किया जा सकता है? कमेंट बॉक्स में लिखिए।
शब्द | अर्थ |
---|---|
अग्रसर | आगे बढ़ रहे हैं |
असमानता | बराबर न होना |
शुभारंभ | अच्छी शुरुआत |
सुनिश्चित | दृढ़ता से निश्चय किया हुआ |
लिंग पक्षपाती | लड़का या लड़की का भेदभाव |
संवेदनशीलता | किसी से प्रभावित होना |
यौन उत्पीड़न | यौन गतिविधि जिसमें आपकी सहमति न हो |
Speech on Environment| Speech on Nature
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