कृषि कानून 2020, में एग्रीकल्चर मार्केटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (Agriculture Marketing Produce Committee) की काफी चर्चा हो रही है। इसे एपीएमसी (APMC) के नाम से जाना जाता है । एपीएमसी क्या है? एपीएमसी में बदलाव की आवश्यकता क्यों हुई? APMC के क्या फायदे या नुकसान है| आइए, विस्तार से और सरल भाषा में इस निबंध ‘नया कृषि कानून 2021 और किसान पर प्रभाव’ में जानते हैं| Kisan Bill and its Impact on Farmers.
नया कृषि कानून 2020 क्या है और किसान पर प्रभाव- निबंध (Essay on Agriculture Bill and Farmers)
भारत में कृषि की भूमिका
भारत एक कृषि प्रधान देश है| भारत में 1960 के दशक में हरित क्रांति आने के बाद देश के कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हुई |खाद्यान्नों में आत्मनिर्भरता संभव हो पायी | अनाज की पूर्ति के लिए अब भारत बाहर के देशों पर निर्भर नहीं रहा |दूसरे शब्दों में, कृषि क्षेत्र ने भारत को आत्मनिर्भर बना दिया |
कृषि क्षेत्र में प्रगति होने के बाद यहां पर कुछ कानून लाने की जरूरत महसूस की गई |तब सभी राज्य सरकारों ने ए पी एम सी एक्ट को माना और लागू किया | इस प्रकार सभी राज्यों में जो बड़े-बड़े खरीदार बैठे थे उन्हें एपीएमसी के तहत लाया गया और इस प्रकार भारत में एक संगठित कृषि मार्केटिंग व्यवस्था की स्थापना हुई |
एपीएमसी (APMC) क्या है
आजादी से पहले भारत में ज्यादातर किसान कर्ज में डूबे रहते थे जिसके कारण जैसे ही खेतों में फसल पककर तैयार होती थी तो ज़मींदार अपना कर्जा लेने के लिए आ जाता था और खेत में खड़ी तैयार फसल काटकर ले जाता था और किसान कुछ नहीं कर पाता था|क्योंकि उसने पैसा उधार लिया था |
इसलिए किसानों के हित की रक्षा करने के लिए सरकार द्वारा एपीएमसी मार्केट की व्यवस्था की गई |एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग (Regulation) ऐक्ट (APMC Act) के अंतर्गत बड़े खरीददार या बिचौलियों के द्वारा फसल की खरीद-बेच का काम किया जाने लगा |इन बिचौलियों को आढ़ती के नाम से जाना जाता है | यहाँ पर किसान अपने माल की बोली लगाकर कुछ मुनाफा कमा लेता था |
नया कृषि कानून बनाने का कारण
एपीएमसी जिस उद्देश्य से बनाई गई थी वह पूरा नहीं हो सका क्योंकि वहां पर बैठे बड़े-बड़े दलालों या आढ़तियों ने एकजुटता कर ली |और APMCके नियमों की वजह से किसान अपनी पैदावार को कहीं बाहर भी बेच नहीं सकता था| जिसके परिणाम स्वरुप किसान को अपनी फसल बहुत ही कम कीमत पर बेचने पर मजबूर होना पड़ता था इसलिए एपीएमसी का असली उद्देश्य फेल हो गया और कृषि का विकास करने के लिए नए कानून लाने की आवश्यकता पड़ी|
आढ़ती कैसे मनमानी करते हैं
- सभी दलाल गुटबंदी कर किसानों को अपनी फसल कम कीमत पर बेचने को मजबूर कर देते हैं |
- कई राज्यों में APMC मंदी में किसानों से लिए जाना वाला शुल्क बहुत अधिक बढ़ा दिया गया|
- कुछ मंडियों में फलों एवं सब्जियों के कमीशन एजेंटों पर 4-8 फीसदी शुल्क लगा दिए गए|
- इस समय पंजाब में मंडी टैक्स 6.5 फीसदी और 2.5 फीसदी आढ़तिया चार्ज है और हरियाणा में कुल 11.5% है
- पंजाब में 45000 रजिस्टर्ड आढ़ती हैं, जिससे पूरे बाज़ार पर उनका ही एकाधिकार स्थापित है
- इससे दलाल तो दिन प्रतिदिन अमीर होते जा रहे हैं और उत्पादक और उपभोक्ता दोनों परेशान हैं | उपभोक्ता महंगे रेट पर अनाज खरीद नहीं पाने के कारण भूखा मर रहा है और दूसरी और उत्पादक यानि कि किसान भाई कम दाम मिलने से परेशान होकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर रहे हैं |
नए किसान कानून कौन से हैं
- कृषक उपज व्यापर व वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा बिल)- मुक्त व्यापार
- कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण ) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा- न्यूनतम समर्थन मूल्य
- आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) बिल
कृषि कानून में नया क्या है
इसलिए साल 2020 में मोदी सरकार एपीएमसी को एकाधिकार(monopoly) से मुक्त कराने के लिए नयी कृषि विपणन पॉलिसी लाए हैं, इसे कृषि सुधार बिल भी कहा जा सकता है|इसके अंतर्गत तीन बिल पास किये गए हैं – जिससे कि किसान एपीएमसी में अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर नहीं है |वह पूरे देश में अपनी फसल को कहीं भी बेच सकता है |कृषि उत्पादों की जमा सीमा पर अब कोई रोक नहीं है|
- अब किसान ओपन मार्किट में अपनी फसल बेचने के लिए स्वतंत्र है |
- सरकार पूरे देश में कहीं भी, अपने राज्य में या दूसरे राज्य में, ऑनलाइन कृषि उत्पादों की खरीद-बेच को आसान बनाने के लिए किसानों का सहयोग करेगी |
- किसान सीधे फ़ूड प्रोसेसिंग कंपनियों,( जैसे चिप्स, जैम, ब्रेड आदि,) या ग्राहकों को माल बेच सकेंगे |
- खरीदारों में प्रतियोगिता होने से किसानों को अपनी फसल का सही दाम मिल पायेगा |
- जब बीच के लोग हट जायेंगे तो ग्राहकों को भी सामान सस्ता मिलेगा |
आढ़तियों द्वारा विरोध के कारण
- बिहार, झारखंड जैसे कई राज्य जहाँ APMC थी ही नहीं वहां के किस्सनों को इसका कोई फायदा नहीं मिलेगा
- पंजाब और विशेषज्ञों का कहना है कि संविधान में राज्य विधानसभाओं को मंडियों को चलाने का अधिकार दिया है तो केंद्र सरकार को इसमें दखल अंदाज भी नहीं करनी चाहिए |
- आढ़ती आक्रोश में हैं कि सरकार केवल किसानों की भलाई सोच रही है परन्तु बिचौलियों ने जो पैसा गोदामों पर लगाया हुआ है उसका क्या होगा ?
किसानों के विरोध की वजह
किंतु इस पर किसानों का कहना है कि भारत में 94% छोटे किसान हैं जिनके पास अपनी कोई जमीन भी नहीं है तो केवल 6 % उत्पादकों को ही इसका फायदा मिलेगा |
प्राइवेट कंपनियों के आ जाने से सरकार पीछे हट जायेगी और संभवतः न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी समाप्त हो जाए |जिससे बड़ी कंपनियों का एकाधिकार हो जाएगा और किसान को उनकी मनमानी झेलनी पड़ेगी |
निष्कर्ष: किसानों की दशा में कैसे सुधार करें
कोरोना जैसे विनाशकारी समय में भारत की जीडीपी साल 2020 में (-) 23.9 पर पहुंच गई |ऐसी परिस्थिति में केवल एक ही क्षेत्र ऐसा था जिसने जीडीपी को संभाला और वह था हमारे देश का कृषि क्षेत्र, जिसने + 3 % की जीडीपी दी |
यह कटु सत्य है कि भारत ने आजादी से आज तक कभी भी कृषि के आधुनिकीकरण पर ध्यान नहीं दिया| इसलिए अगर भारत को आत्मनिर्भर बनना है तो हमें कृषि का आधुनिकीकरण करना होगा|केवल कानूनों में बदलाव करने से कुछ नहीं होगा |सरकार को रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट Remote Sensing Satellite) के द्वारा पता लगाकर किसानों को पहले से मानसून की जानकारी देनी चाहिए| न्यूनतम समर्थन मूल्य सख्ती से लागू होना चाहिए| यदि कोई भी व्यक्ति किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर अपनी फसल बेचने पर मजबूर करता है तो उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए तभी किसानों द्वारा मजबूर होकर की जाने वाली आत्महत्याओं पर रोक लगाई जा सकती है|
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