इस हिंदी निबंध में आप जानेंगे कि भारत आज़ादी से अब तक क्या हासिल कर पाया| स्वतंत्रता के ७५ वर्ष: क्या खोया क्या पाया| भारत का 75 वर्ष का सफ़र पर हिंदी essay, Hindi Essay on 75 years of Independent India
गत वर्षों में भारत की सभी सरकारों ने विश्व के मानचित्र पर भारत की एक अलग पहचान बनाने की कोशिश की है। भारत ने बहुत से क्षेत्रों में तरक्की करके कोरोना वायरस से सफल लड़ाई लड़ी. जानिये किस तरह डिजिटल इंडिया मुहीम ने भारत को आत्मनिर्भर बनने में मदद की और कोविड 19 से मुकाबला करने के सक्षम बनाया. गुलामी की जंजीरों को तोड़ता हुआ भारत क्या वास्तव में स्वतंत्रता प्राप्त कर पाया है? मुझे ऐसा लगता है कि असली आज़ादी मिलने में अभी और समय लगेगा। इस हिंदी निबंध – भारत का ७५ वर्ष का सफ़र में जो कमियां रह गयी उनके बारे में बात की जा रही है. यदि आप भारत की ७५ वर्षों में आत्मनिर्भरता और उपलब्धियों पर चर्चा करना चाहते हैं तो स्वतंत्र भारत 75 वर्ष – सत्यनिष्ठा से आत्मनिर्भरता पढ़ें.
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स्वतंत्र भारत 75 वर्ष – सत्यनिष्ठा से आत्मनिर्भरता
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अंग्रेजी को प्राथमिकता
मेरे ऐसा मानने के पीछे कई कारण हैं – सबसे पहले मेरी अपनी सरकार की वेबसाइट अंग्रेजी में है। ऐसा क्यों? आप कहेंगे कि भारत में इतनी सारी क्षेत्रीय भाषाएँ है कि किसी एक को नहीं चुन सकते। मैं पूछती हूँ; सरकार ने 74 सालों में अब तक सबसे लोकप्रिय भाषा को यह दर्जा क्यों नहीं दिया? क्यों अंग्रेजों की चलाई हुई भाषा अब तक हम पर राज कर रही है?
आपने नयी शिक्षा प्रणाली से तो अंग्रेज़ी को हटा दिया पर सारे सरकारी काम तो इसी में हो रहे हैं।सरकारी कामों के लिए किसी एक भारतीय भाषा को चुनना बहुत आवश्यक है। उस चुनी हुई भाषा को पढ़ना अनिवार्य होना चाहिए और द्वितीय भाषा के तौर पर भाषा के चुनाव का निर्णय राज्य सरकार पर छोड़ देना चाहिए।
सौर उर्जा को अनिवार्य करना
भारत के पास कच्चे तेल और इंधन के प्राकृतिक स्रोत्रों की कमी है। इस कमी को पहचानते हुए भारत सरकार द्वारा सौर उर्जा के क्षेत्र में किये गए प्रयास प्रशंसनीय है। सौर उर्जा बिजली का एक प्रदुषण मुक्त साधन है जो हमें पर्यावरण से अपने कार्बन फुटप्रिंट मिटाने में बहुत कारगर साबित होगा। परन्तु अभी सरकार की तरफ से सौर उर्जा को अनिवार्य करने की दिशा में कदम उठाने बाकी हैं।
100 गज या उससे ज्यादा के नए मकान या दुकान बनाने का लाइसेंस बिना सोलर पैनल लगाये पास नहीं किया जाना चाहिए। लोगों को अपनी दैनिक ज़रूरतों की कम से कम 50% बिजली खुद अपने घर में ही बनानी चाहिए। जितने भी बड़े शॉपिंग मॉल हैं उन सभी को अपनी पूरी छत पर सोलर पैनल लगाने का कोई कानून होना चाहिए।
इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती की आवश्यकता
2014 में शुरू किया गया मेक इन इंडिया प्रोग्राम देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उठाया हुआ बहुत बढ़िया कदम था। इससे भारत बाहरी निवेश को आधार बनाकर अपने देश में गरीब लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार दे सकता है। लेकिन, दुर्भाग्यवश यह योजना अधिक सफल नहीं हो पाई क्योंकि हमारे देश में प्रौद्योगिकी और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है। जैसा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की घोषणा करते हुए कहा था कि भारत को एक गतिशील उछाल की आवश्यकता है ।अगर अब भी हम कछुए की भाँती ‘स्लो एंड स्टेडी विन्स द रेस’ वाली कहानी को जीवन में अपनाएंगे तो तेज गति से आगे भागते चीन और अमेरिका को नहीं पकड़ पायेंगे।
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बच्चों में देशभक्ति की भावना जागृत करना
देश के रक्षा विभाग ने इन 75 वर्षों में अभूतपूर्व विस्तार किया है -नवीनतम उपकरणों, लड़ाकू विमानों, जल पोत, पनडुब्बी और राफेल ने पूरे विश्व में भारत का ऐसा दबदबा कायम कर दिया है कि चीन जैसा विशाल और शक्तिशाली देश भी डरकर पीछे हट गया| लद्दाख में जाकर मोदी जी ने जो हुंकार भरी उसने हमारे सैनिकों में एक नया जोश भर दिया । आज़ादी के बाद भारत ने शान्ति और भाईचारे का पथ अपनाया लेकिन कुछ देशों ने इसे हमारी कमजोरी समझने की भूल की, पर पिछले ६ सालों में करो या मरो की नीति ने उनकी यह ग़लतफ़हमी दूर कर दी होगी। पर जनता की ओर से भी देशभक्ति अपेक्षित है यह काम स्कूलों के द्वारा पूरा किया जाने के लिए उचित प्रबंध किये जाने चाहिए ।
कृषि का आधुनिकीकरण
भारत ने हरित क्रांति लाकर कई देशों को पीछे छोड़ दिया है। हमारे पास हर तरह की भौगोलिक परिस्थियाँ प्राकृतिक रूप से उपलब्ध हैं लेकिन हम भगवान के दिए इस वरदान का अभी तक भी 100% उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। हमारे किसान भाई आज भी पुरानी तकनीक से खेती कर रहें हैं। जिसमे पैदावार कम और गुणवत्ता भी हल्की होती है ।नयी आने वाली पीड़ी में कृषि को लेकर कोई ख़ास रोमांच नहीं है। यह तभी पनप सकता है जब देश में ऐसे कॉलेज और इंस्टिट्यूट खोले जाएँ जहाँ पर खेती-बाड़ी को कंप्यूटर का इस्तेमाल कर दिलचस्प तरीकों से पढ़ाया व सिखाया जाए।
कानून पालन पर सख्ताई ज़रूरी
भारतीय सरकार ने पिछले कुछ समय में देश को कैशलेस इकॉनमी का तोहफा दिया जिससे कोरोना काल में अमीर और गरीब सभी का लेन-देन बिना रुकावट संभव हो पाया । तकरीबन 4 महीने लॉकडाउन होने के बावजूद भी सभी गरीबों को घर बैठे पैसे, दाल, चावल, तेल, मसाले और यहाँ तक कि खाने के लिए तैयार भोजन भी उपलब्ध करवाया। किन्तु यहाँ भी भ्रष्टाचार और बेईमानी के कारण बहुत से गरीब लोग इन फायदों से वंचित रह जाते हैं । मेरा ऐसा मानना है कि सभी कानून और नीतियों का सख्ताई से पालन किये जाने पर जोर दिया जाना चाहिए । तभी मेरा भारत स्वतंत्र भारत कहलायेगा और विश्व के मानचित्र पर एक सितारे के रूप में सबसे ऊपर टिमटिमाएगा ।
पढ़िए नयी शिक्षा नीति NEP (2020) के द्वारा सरकार देश में में कौन से क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की कोशिश कर रही है –
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