बच्चों की सुरक्षा और सोशल मीडिया का प्रभाव। Social Media and Children

Hindi Speech on Social Media and Children (Inspired from Adolescence Series) | Speech for Bullying | Morning Assembly Speech in Hindi

प्रिय अध्यापकों और मेरे प्यारे साथियों,

सोचिए, एक 13 साल का बच्चा, जो आमतौर पर हंसता-खेलता था, एक दिन अचानक अपनी ही क्लासमेट पर हमला कर देता है। यह सुनकर चौंक गए ना? जब इस घटना की गहराई में गए, तो पता चला कि यह बच्चा ऑनलाइन बुलिंग और गलत विचारधाराओं का शिकार था। ऐसा ही कुछ आपने हाल ही में ‘Adolesence Series’ में देखा होगा .

इस सीरीज ने मुझे आप सभी से एक महत्वपूर्ण विषय पर बात करने के लिए प्रेरित किया – बच्चों की सुरक्षा और सोशल मीडिया का प्रभाव।

आजकल हमें लगता है कि अगर कोई बच्चा अपने कमरे में अकेला है, तो वह सुरक्षित है। लेकिन हकीकत यह है कि जब उसके हाथ में मोबाइल फोन और सोशल मीडिया होता है, तो पूरी दुनिया उसके कमरे तक आ जाती है। यह दुनिया अच्छी भी हो सकती है और खतरनाक भी। जरा सोचिए, अगर दिशा सही न मिले, तो बच्चे ऐसे कंटेंट देख सकते हैं जो उनकी मानसिकता पर गलत प्रभाव डाल सकते हैं।

ऑनलाइन और ऑफलाइन बुलिंग बच्चों के मन में गहरी चोट पहुंचाती है। जब किसी बच्चे को बार-बार चिढ़ाया जाता है, अपमानित किया जाता है या उसके बारे में गलत बातें कही जाती हैं, तो उसके मन में गुस्सा और नकारात्मक विचार बढ़ने लगते हैं। यह गुस्सा किसी न किसी रूप में बाहर आता है और कई बार खतरनाक हो सकता है। क्या हम चाहते हैं कि कोई भी बच्चा इस दर्द से गुजरे? इसलिए हमें यह समझना होगा कि किसी को अपमानित करना या उसे कमज़ोर समझना बहुत गलत है।

हमारी सोसाइटी में यह धारणा बना दी गई है कि लड़कों को कभी रोना नहीं चाहिए और ताकतवर होना चाहिए। लेकिन ताकत का सही मतलब किसी को दबाने में नहीं, बल्कि सबको साथ लेकर चलने में है। जैसा कि कहा गया है— “बल से नहीं, बुद्धि और प्रेम से दुनिया जीती जाती है।”

हम सभी की ज़िम्मेदारी बनती है कि हम बच्चों की भावनाओं को समझें और उनके साथ खुलकर बातचीत करें। अगर कोई बच्चा परेशान है, तो उसे डांटने के बजाय उसका दर्द समझने की कोशिश करें।

तो अब सवाल यह है कि हम क्या कर सकते हैं? सबसे पहले, अपने दोस्तों का सम्मान करें और किसी का मज़ाक न उड़ाएं। सोशल मीडिया पर जो कुछ भी देखें, उसे आंख मूंदकर सही न मानें। अगर आपको किसी प्रकार की बुलिंग या परेशानी हो रही हो, तो माता-पिता या शिक्षकों से बात करें। सोशल मीडिया का इस्तेमाल सोच-समझकर करें और किसी अनजान व्यक्ति से बातचीत करने से बचें।

याद रखिए, सच्ची ताकत दूसरों को गिराने में नहीं, बल्कि उन्हें ऊपर उठाने में है। हमें प्यार, समझदारी और दोस्ती के साथ आगे बढ़ना चाहिए, तभी हम एक सुरक्षित और सकारात्मक समाज बना सकते हैं।

धन्यवाद!


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